दिल्ली विश्वविद्यालय: सावरकर की मूर्ती पर पहना दी गई जूतों की माला
दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में मनमाने तरीक़े से लगाई गई वी.डी सावरकर की मूर्ति पर जूतों की माला पहना दी गई है। बीती रात एनएसयूआई के प्रदेश अध्यक्ष लाकड़ा अपने कुछ कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर इस काम को अंजाम दिया।
उन्होंने भगत सिंह और नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ती पर फूल चढ़ाने के साथ ही सावरकर की मूर्ती पर लगी फूलों को हटा दिया और जूतों की माला पहना दी। इसके बाद एनएसयूआई कार्यकर्ताओं ने वहां खड़े होकर भगत सिंह ज़िंदाबाद के नारे भी लगाए।
बता दें कि, डीयू के नॉर्थ कैंपस में सावरकर की मूर्ति डूसू अध्यक्ष शक्ति सिंह की अगुवाई में बिना इजाज़त के लगा दी गई थी, जिस पर हंगामा मचा हुआ है। एनएसयूआई और वामपंथी छात्र संगठन ग़लत तरीक़े से मूर्ति लगाने का विरोध कर रहे हैं। ये भी पढ़ें- बिना इजाज़त, डीयू कैंपस में लगा दी गई सावरकर की मूर्ती इन संगठनों का ये भी कहना है कि भगत सिंह, सुभाषचंद्र बोस और वी.डी सावरकर की मूर्ति एक साथ नहीं लगाई जा सकती, क्योंकि उनकी विचारधारा एक दूसरे के ठीक उलट है। एनएसयूआई और वामपंथी छात्र संगठनों का कहना है कि, भगत सिंह जीवन भर ब्रिटिश के ख़िलाफ़ लिखते बोलते रहे। वहीं वी.डी सावरकर अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगने वालों में शामिल थे और वह एक लोकतांत्रित और धर्मनिरपेक्ष देश की बजाय धर्म आधारित हिंदू राष्ट्रवाद के पैरोकार थे।
बता दें कि, डीयू के नॉर्थ कैंपस में सावरकर की मूर्ति डूसू अध्यक्ष शक्ति सिंह की अगुवाई में बिना इजाज़त के लगा दी गई थी, जिस पर हंगामा मचा हुआ है। एनएसयूआई और वामपंथी छात्र संगठन ग़लत तरीक़े से मूर्ति लगाने का विरोध कर रहे हैं। ये भी पढ़ें- बिना इजाज़त, डीयू कैंपस में लगा दी गई सावरकर की मूर्ती इन संगठनों का ये भी कहना है कि भगत सिंह, सुभाषचंद्र बोस और वी.डी सावरकर की मूर्ति एक साथ नहीं लगाई जा सकती, क्योंकि उनकी विचारधारा एक दूसरे के ठीक उलट है। एनएसयूआई और वामपंथी छात्र संगठनों का कहना है कि, भगत सिंह जीवन भर ब्रिटिश के ख़िलाफ़ लिखते बोलते रहे। वहीं वी.डी सावरकर अंग्रेज़ों से माफ़ी मांगने वालों में शामिल थे और वह एक लोकतांत्रित और धर्मनिरपेक्ष देश की बजाय धर्म आधारित हिंदू राष्ट्रवाद के पैरोकार थे।
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