QissaGo - नारे के सहारे
QissaGo: नारे के सहारे
दिल्ली चुनाव नारे की भेंट चढ़ता दिख रहा है। राष्ट्रवाद के नारे, असली नारे और असली मुद्दों पर हावी है। माना जाता है कि नारों में बहुत ताक़त होती है। नारे के सहारे जनता को बात समझाना आसान होता है। चुनाव के दौरान यदि जनता बड़े-बड़े वादों और भाषणों से बात नहीं समझा पाती है तो नारे गढ़े जाते हैं। कहते हैं लोकतंत्र के चार हैं प्यारे- वोट, जुलूस, झंडे और नारे।
“इंदिरा हटाओ देश बचाओ” के नारे के बदले कांग्रेस पार्टी ने नारा दिया- ‘ग़रीबी हटाओ’ लेकिन उधर विपक्षी दल इंदिरा गांधी सरकार के विरोध में और मज़बूत नारे के साथ मैदान में उतरी। साल 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी, अलग-अलग नारे के सहारे नैया पार लगाने में क़ामयाब हुई। तो 2019 के आम चुनाव में राष्ट्रवाद और भारत माता की जय के नारे लगने लगे। और एक अलग दौर शुरू हुआ राष्ट्रवाद का। जिसमें नारे नहीं आपत्तिजनक बयान होते हैं। गोन्यूज़ के इस ख़ास पेशकश ‘क़िस्सा गो’ में देखिये नारे की कहानी। दारेन शाहीदी के साथ- नारे के सहारे
“इंदिरा हटाओ देश बचाओ” के नारे के बदले कांग्रेस पार्टी ने नारा दिया- ‘ग़रीबी हटाओ’ लेकिन उधर विपक्षी दल इंदिरा गांधी सरकार के विरोध में और मज़बूत नारे के साथ मैदान में उतरी। साल 2014 के आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी, अलग-अलग नारे के सहारे नैया पार लगाने में क़ामयाब हुई। तो 2019 के आम चुनाव में राष्ट्रवाद और भारत माता की जय के नारे लगने लगे। और एक अलग दौर शुरू हुआ राष्ट्रवाद का। जिसमें नारे नहीं आपत्तिजनक बयान होते हैं। गोन्यूज़ के इस ख़ास पेशकश ‘क़िस्सा गो’ में देखिये नारे की कहानी। दारेन शाहीदी के साथ- नारे के सहारे
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