आधार: जानें अपने अधिकारों को

by M. Nuruddin 4 years ago Views 1329

Rights of Ordinary Citizens On The Aadhaar
सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में आधार पर एक महत्वपूर्ण फैसला दिया जिसके बाद आधार कानून 2016 में टेलिग्राफ एक्ट और मनी लॉंड्रिंग एक्ट को समावेषित कर संशोधन किये गए। आधार अधिनियम में संशोधन के बाद आपके क्या अधिकार हैं यह चर्चा का विषय रहा है, लेकिन आम लोगों को इसकी जानकारी कम है जिसका फायदा बैंक और कंपनियां उठा रहे हैं। 

आधार अनिवार्य रूप से आपकी पहचान का एक साधन है। आप आधार के लिये नामांकन करने जाते हैं, जहां आपका बायोमेट्रिक और डेमोग्राफिक डेटा लिया जाता है। बायोमेट्रिक जानकारियां (जैसे- उंगिलियों के निशान, आंखों की स्कैनिंग, फोटो) और डेमोग्राफिक यानि जनसांख्यिकीय जानकारियों में आपका नाम, उम्र, पता, इत्यादि शामिल होता है। जो सेंट्रल आईडेंटटिज़ डेटा रिपोज़िटरी यानि केंद्रीय पहचान डेटा रिपॉजिटरी (सीआईडीआर) में जमा हो जाती है। इसका मतलब है कि आपकी बायोमेट्रिक और डेमोग्राफिक जानकारी एक अनुरोध के बाद ही हासिल की जा सकती है।


मसलन, यदि आप अपने बैंक अकाउंट को आधार से लिंक करवाने के लिये जाते हैं तो बैंक आपसे बायोमेट्रिक जानकारी जैसे आपके फिंगर प्रिंट्स की मांग करता है। इस प्रकार सीआईडीआर में जमा आपके डेमोग्राफिक डेटा को बैंक हासिल कर सकता है जिसे ई-केवाईसी यानि इलेक्ट्रोनिक केवाईसी कहा जाता है।

ये तो हो गई ऑनलाइन की बात, 

लेकिन जुलाई 2019 के संशोधन के तहत आपके आधार का सत्यापन ऑफलाइन तरीके से भी किया जा सकता है, हालांकि ये किस प्रकार किया जाएगा इसकी जानकारी संशोधन में नहीं दी गई है। एक संभावित उदाहरण ये हो सकता है कि, आपसे आपके आधार की फोटो कॉपि की मांग की जाए जिसमें आपकी फोटो, आपका पता, और आधार नंबर शामिल हो और आधार कार्ड पर एक क्यूआर कोर्ड होता है जिसको अनुरोधित इकाई यूआईडीएआई द्वारा जारी एक सॉफ्टवेयर पर स्कैनर की मदद से हासिल कर सकता है।

नोट- आम तौर पर सीआईडीआर में आपके पहचान की जानकारी गोपनीय नहीं है। केवल आपकी फिंगर प्रिंट्स और आंखों का स्कैन ही गोपनीय है। इसके आलावा आधार अधिनियम के तहत आपकी सभी जानकारियों को किसी भी अनुरोधित इकाइयों के साथ शेयर किया जा सकता है।

सामान्य सुरक्षा (सब सेक्शन 8 और 29 आधार अधिनियम)

इसके तहत यह जानना आपके लिये ज़रूरी है कि, आधार प्रमाणिकरण (अनिवार्य या स्वैच्छिक) के सभी मामलों में सुरक्षा के क्या उपाय हैं?

(1) आपके आधार डेटा को हासिल करने से पहले आपको सूचित करना अनिवार्य है, बिना आपकी सहमति के आपकी डेटा को कोई भी एक्सेस नहीं कर सकता है।

(2) यदि कोई भी अनुरोधित इकाई आपके आधार डेटा को पाना चाहता है तो पहले आपको लिखित में सूचना दी जाएगी उसके बाद ही आपकी पहचान किसी के साथ साझा की जा सकती है।

(3) आपने जिस उद्देश्य के लिये सहमति दी है केवल उसी उद्देश्य के लिये आपके पहचान की जानकारी इस्तेमाल की जानी चाहिये।

(4) आपका सत्यापन चाहने वाली संस्था किसी भी उद्देश्य के लिए अपने आधार नंबर या बायोमेट्रिक जानकारी को एकत्र, उपयोग या संग्रहीत नहीं कर सकती है। यह कानूनन जुर्म है क्योंकि,

सरकारी सेवाएं (सेक्शन 7, आधार अधिनियम)

आधार अधिनियम के तहत, भारत के कंस़ोलिडेटेड फंड और राज्य कर के कंसोलिडेटेड फंड से सब्सिडी, लाभ या सेवाओं के लिये आधार को सरकार अनिवार्य कर सकती है।

टैक्स (सेक्शन 139ए, सेक्शन 139एए, और सेक्शन 272बी, आयकर अधिनियम)

आयकर अधिनियम के तहत, आपको अपना रिटर्न जमा करने और पैन कार्ड अप्लाई करने के लिये आधार नंबर देना आवश्यक है, ये वित्त अधिनियम द्वारा संशोधित है। ऐसा न करने से पैन रद्द हो सकता है और आप पर 10,000 रूपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

फोन (टेलिग्राफ अधिनियम)

संशोधित टेलीग्राफ अधिनियम के तहत, कोई भी मोबाइल कंपनी सत्यापन के लिये निम्नलिखित में से कोई भी प्रूफ मांग सकती है। इसके लिये केवल आधार कार्ड आवश्यक नहीं है। जिसमें आधार प्रमाणीकरण, ऑफ़लाइन सत्यापन, पासपोर्ट या आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज और वोटर आईडी कार्ड या ड्राइविंग लाइसेंस भी शामिल हो सकता है।

निजी कंपनियाँ (सेक्शन 4, आधार अधिनियम)

कोई भी निजी कंपनी आधार प्रमाणिकरण को अनिवार्य नहीं कर सकती है, जब तक संसद में बने कानून द्वारा प्रमाणिकरण की आवश्यकता ना हो।

हालांकि एक निजी कंपनी आपकी इच्छानुसार आधार प्रमाणिकरण की पेशकश ज़रूर कर सकती है। बशर्ते कि

(1) यह यूआईडीएआई द्वारा ऐसा करने के लिए अधिकृत हो

(2) प्रमाणीकरण सूचित सहमति पर आधारित हो

(3) पहचान के अन्य साधन भी उपलब्ध हों

(4) सभी सामान्य सुरक्षा उपाय लागू होते हों

संशोधित आधार अधिनियम, निजी कंपनियों के लिये ऑफ़लाइन सत्यापन को अनिवार्य नहीं करता है और न ही उस पर रोक लगाता है। आधार कानून की यह सबसे बड़ी अस्पष्टता है।

बच्चों के लिये

संशोधित आधार कानून में बच्चों के लिये विशेष सुरक्षा रखी गई है।

(1) अभिभवकों की मंजूरी ज़रूरी है।

(2) 18 साल पूरा होने पर छह महीने के अंदर के बच्चे आधार से अलग हो सकते हैं।

(3) किसी बच्चे को आधार न पर किसी भी सरकारी सेवा या मदद से वंचित नहीं किया जा सकता है।

आधार कार्ड का क्या मतलब है?

आधार अधिनियम में आधार कार्ड के बारे में कुछ नहीं कहा गया है- 'कार्ड' शब्द का प्रयोग पूरे अधिनियम में नहीं किया गया है।

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