एशियाई मुद्राओं में डॉलर के मुक़ाबले भारतीय रूपया सबसे कमज़ोर
देश में आर्थिक विकास की रफ्तार सुस्त पड़ने और महंगाई में बढ़ोतरी का सीधा असर अब रूपये की सेहत पर साफ़ दिखाई दे रहा है। अब भारत की मुद्रा एशिया की सभी मुद्राओं के मुकाबले सबसे ख़राब प्रदर्शन करने वाली तीसरी करंसी बन गयी है।
भारत की विकास दर में अन्य देशों के मुकाबले सबसे बड़ी गिरावट देखी गई है जिससे भारतीय रुपये पर दबाव बढ़ गया है। भारतीय मुद्रा रुपया, डॉलर के मुकाबले लगातार लुढ़क रहा है। पिछले एक साल के दौरान रुपये का प्रदर्शन एशियाई मुद्राओं के बीच सबसे कमजोर रहा।
ब्लूमबर्ग के मुताबिक जनवरी 2019 के आरंभ से अब तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया करीब 2 फीसदी लुढ़क चुका है जबकि इसी दौरान थाई बाट में 6.3 फीसदी, मलेशियाई रिंगिट में 1.5 फीसदी और फिलिपींस पेसो में 3 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। पाकिस्तानी रुपये का प्रदर्शन सबसे खराब रहा और पिछले 12 महीनों के दौरान उसमें 9.5 फीसदी की गिरावट आई। पाकिस्तानी रुपये के बाद दक्षिण कोरियाई ओन में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले करीब 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। आंकड़ों से पता चलता है कि बांग्लादेश की मुद्रा टका भी अब भारतीय रुपये के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रही है। पिछले 12 महीनों के दौरान टका में 1.5 फीसदी की गिरावट आई लेकिन भारतीय रुपये के मुकाबले उसका प्रदर्शन काफी बेहतर रहा। जानकारों का कहना है की भारत की आर्थिक वृद्धि में अनुमान से कहीं ज़्यादा गिरावट के कारण रुपये का प्रदर्शन कमजोर पड़ गया है। एक्विनोमिक्स रिसर्च एंड एडवाइजरी के फाउंडर एंड मैनेजिंग डायरेक्टर जी चोक्कलिंगम ने कहा, 'किसी देश की मुद्रा और उसकी आर्थिक वृद्धि के बीच मजबूत संबंध होता है।’ भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में अन्य देशों के मुकाबले सबसे बड़ी गिरावट दिखी है जिससे मुद्रा पर दबाव बढ़ा है। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के आखिरी तिमाही के आंकड़े के मुताबिक भारत की विकास दर 4.5 फीसदी पहुंच गयी है।
ब्लूमबर्ग के मुताबिक जनवरी 2019 के आरंभ से अब तक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया करीब 2 फीसदी लुढ़क चुका है जबकि इसी दौरान थाई बाट में 6.3 फीसदी, मलेशियाई रिंगिट में 1.5 फीसदी और फिलिपींस पेसो में 3 फीसदी की बढ़त देखने को मिली है। पाकिस्तानी रुपये का प्रदर्शन सबसे खराब रहा और पिछले 12 महीनों के दौरान उसमें 9.5 फीसदी की गिरावट आई। पाकिस्तानी रुपये के बाद दक्षिण कोरियाई ओन में अमेरिकी डॉलर के मुकाबले करीब 5 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। आंकड़ों से पता चलता है कि बांग्लादेश की मुद्रा टका भी अब भारतीय रुपये के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन कर रही है। पिछले 12 महीनों के दौरान टका में 1.5 फीसदी की गिरावट आई लेकिन भारतीय रुपये के मुकाबले उसका प्रदर्शन काफी बेहतर रहा। जानकारों का कहना है की भारत की आर्थिक वृद्धि में अनुमान से कहीं ज़्यादा गिरावट के कारण रुपये का प्रदर्शन कमजोर पड़ गया है। एक्विनोमिक्स रिसर्च एंड एडवाइजरी के फाउंडर एंड मैनेजिंग डायरेक्टर जी चोक्कलिंगम ने कहा, 'किसी देश की मुद्रा और उसकी आर्थिक वृद्धि के बीच मजबूत संबंध होता है।’ भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में अन्य देशों के मुकाबले सबसे बड़ी गिरावट दिखी है जिससे मुद्रा पर दबाव बढ़ा है। रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के आखिरी तिमाही के आंकड़े के मुताबिक भारत की विकास दर 4.5 फीसदी पहुंच गयी है।
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