ट्विटर के बाद अब स्नैपचैट ने ट्रंप के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला, कहा- ट्रंप का कंटेंट भड़काऊ
अमेरिकी प्रेज़िडेंट डॉनल्ड ट्रंप और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के बीच तक़रार बढ़ती जा रही है. अब वीडियो/फोटो शेयर करने वाले प्लेटफॉर्म स्नैपचैट ने डॉनल्ड ट्रंप के अकाउंट के प्रमोशन पर रोक लगा दी है. स्नैपचैट ने अपने एक बयान में कहा है कि डॉनल्ड ट्रंप का कंटेंट नस्लीय हिंसा को बढ़ावा देने वाला है.
स्नैपचैट के इस फैसले के बाद उनके द्वारा किए गए पोस्ट को सिर्फ वो ही देख सकेंगे जो उन्हें फॉलो करते हैं और अब सिर्फ डायरेक्ट सर्च करने पर ही ट्रंप का अकाउंट दिखेगा. स्नैपचैट की पेरेंट कंपनी स्नैप ने कहा कि नस्लीय हिंसा और अन्याय के लिए हमारे समाज में कोई जगह नहीं है. हम उनके साथ हैं जो अमेरिका में अमन-शांति, बराबरी और इंसाफ़ चाहते हैं.
अमेरिका में एक अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद से आंदोलन भड़क गया है. अब तक 100 से ज़्यादा शहरों में प्रदर्शन हो चुके हैं और 10 हज़ार से ज्यादा आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी हुई है. 29 मई को आंदोलनकारी व्हाइट हाउस तक पहुंच गए थे. वीडियो देखिए डॉनल्ड ट्रंप पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने इतने नाज़ुक हालात को संभालने की बजाय ग़ैरज़िम्मेदार बयानबाज़ी की जिसे आंदोलन और भड़क गया. उन्होंने एक ट्वीट किया कि अगर व्हाइट हाउस का बाड़ टूटता तो प्रदर्शनकारियों पर शातिर कुत्तों और हथियारों का इस्तेमाल किया जाता. इसी तरह के कुछ और ट्वीट्स करने पर ट्विटर ने उनके कई ट्वीट छिपा दिए और उनके कंटेंट की फैक्ट चेकिंग शुरू कर दी. अमेरिकी राष्ट्रपति इसपर भड़क गए और उन्होंने अपनी ताक़त का इस्तेमाल करते हुए सोशल मीडिया कंपनियों पर शिंकजा कसना शुरू कर दिया. हालांकि इसके बावजूद मामला थमता नहीं दिख रहा है. ट्विटर के बाद स्नैपचैट ने भी एक तरह से ट्रंप के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. उधर फेसबुक के मुखिया मार्क ज़करबर्ग ने ट्रंप का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि कंपनी के फ्री स्पीच प्रिंसिपल का मतलब है कि राष्ट्रपति द्वारा किए जा रहे पोस्ट पर कोई दख़ल ना दी जाए.
अमेरिका में एक अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस हिरासत में मौत के बाद से आंदोलन भड़क गया है. अब तक 100 से ज़्यादा शहरों में प्रदर्शन हो चुके हैं और 10 हज़ार से ज्यादा आंदोलनकारियों की गिरफ्तारी हुई है. 29 मई को आंदोलनकारी व्हाइट हाउस तक पहुंच गए थे. वीडियो देखिए डॉनल्ड ट्रंप पर आरोप लग रहा है कि उन्होंने इतने नाज़ुक हालात को संभालने की बजाय ग़ैरज़िम्मेदार बयानबाज़ी की जिसे आंदोलन और भड़क गया. उन्होंने एक ट्वीट किया कि अगर व्हाइट हाउस का बाड़ टूटता तो प्रदर्शनकारियों पर शातिर कुत्तों और हथियारों का इस्तेमाल किया जाता. इसी तरह के कुछ और ट्वीट्स करने पर ट्विटर ने उनके कई ट्वीट छिपा दिए और उनके कंटेंट की फैक्ट चेकिंग शुरू कर दी. अमेरिकी राष्ट्रपति इसपर भड़क गए और उन्होंने अपनी ताक़त का इस्तेमाल करते हुए सोशल मीडिया कंपनियों पर शिंकजा कसना शुरू कर दिया. हालांकि इसके बावजूद मामला थमता नहीं दिख रहा है. ट्विटर के बाद स्नैपचैट ने भी एक तरह से ट्रंप के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल दिया है. उधर फेसबुक के मुखिया मार्क ज़करबर्ग ने ट्रंप का बचाव किया है. उन्होंने कहा कि कंपनी के फ्री स्पीच प्रिंसिपल का मतलब है कि राष्ट्रपति द्वारा किए जा रहे पोस्ट पर कोई दख़ल ना दी जाए.
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