पिछले 2 सालों में सिकुड़ रहा है देश का टेलीकॉम सेक्टर: TRAI
देश का टेलीकॉम सेक्टर सबसे मुश्किल दौर से गुज़र रहा है. इस सेक्टर में कभी एक दर्जन कंपनियां सक्रिय थीं लेकिन अब मोटे तौर पर सिर्फ तीन कंपनियां रिलायंस जिओ, एयरटेल और वोडाफोन हैं. इन तीन कंपनियों में भी रिलायंज जियो का दायरा काफी बड़ा है.
टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया यानि ट्राई के ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि यह सेक्टर बढ़ने की बजाय सिकुड़ रहा है. आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2018 में जहां देश में कुल 1206.66 मिलियन सब्सक्राइबर थे जो मार्च 2020 में घटकर 1177.97 मिलियन रह गए. यह आंकड़े बताते हैं कि पिछले दो साल में देश में टेलिडेन्सिटी घटी है. टेलिडेन्सिटी उसे कहते हैं कि हर 100 लोगों के पास कितने टेलीफोन कनेक्शन हैं.
ट्राई के अनुसार साल 2018 मार्च में ओवरआल टेलिडेन्सिटी 91.09 फीसदी थी, जोकि मार्च 2020 में घटकर 87.37 फीसदी रह गयी है. यानि 3.42 फीसदी की गिरावट. शहरों में टेलीडेंसिटी में और गिरावट आई है. आंकड़े बताते हैं कि अर्बन टेलिडेन्सिटी मार्च 2018 में जहां 161.17 फीसदी थी, वहीं मार्च 2020 में घटकर 142.1 फीसदी रह गयी है. यानि 19.07 की गिरावट. यह गिरावट गांवों में भी देखने को मिली है. मार्च 2018 में जहां ग्रामीण टेलिडेन्सिटी 59.05 फीसदी थी, वो मार्च 2020 में घटकर 58.79 फीसदी रह गयी. इन आंकड़ों से साफ़ पता चलता है कि जिस देश में कुछ सालों पहले ही टेलीकॉम क्रांति हुई हो, उसी देश में अब टेलीकॉम सेक्टर सिकुड़ रहा है. वोडाफोन और एयरटेल, ये दोनों कंपनिया पहले ही कह चुकी है अगर सरकार ने जल्द ही टेलीकॉम सेक्टर को उबारने के लिए कदम नहीं उठाये तो उन्हें बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ेगा.
ट्राई के अनुसार साल 2018 मार्च में ओवरआल टेलिडेन्सिटी 91.09 फीसदी थी, जोकि मार्च 2020 में घटकर 87.37 फीसदी रह गयी है. यानि 3.42 फीसदी की गिरावट. शहरों में टेलीडेंसिटी में और गिरावट आई है. आंकड़े बताते हैं कि अर्बन टेलिडेन्सिटी मार्च 2018 में जहां 161.17 फीसदी थी, वहीं मार्च 2020 में घटकर 142.1 फीसदी रह गयी है. यानि 19.07 की गिरावट. यह गिरावट गांवों में भी देखने को मिली है. मार्च 2018 में जहां ग्रामीण टेलिडेन्सिटी 59.05 फीसदी थी, वो मार्च 2020 में घटकर 58.79 फीसदी रह गयी. इन आंकड़ों से साफ़ पता चलता है कि जिस देश में कुछ सालों पहले ही टेलीकॉम क्रांति हुई हो, उसी देश में अब टेलीकॉम सेक्टर सिकुड़ रहा है. वोडाफोन और एयरटेल, ये दोनों कंपनिया पहले ही कह चुकी है अगर सरकार ने जल्द ही टेलीकॉम सेक्टर को उबारने के लिए कदम नहीं उठाये तो उन्हें बोरिया-बिस्तर समेटना पड़ेगा.
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