अर्थव्यवस्था के पटरी पर जल्द लौटने के आसार नहीं, कारोबारियों में मायूसी बढ़ी: सर्वे
कोरोना महामारी से जूझ रही करोड़ों की आबादी ज़िंदगी को वापस पटरी पर लाने में जुटी है लेकिन ऐसा कर पाना आसान नहीं है. बर्बादी की कगार पर पहुंच चुकी अर्थव्यवस्था में कारोबारियों का यक़ीन तेज़ी से उठता जा रहा है. नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकॉनमिक रिसर्च का ताज़ा सर्वे बताता है कि वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के बीच बिज़नेस कॉनफिडेंस इंडेक्स साल 1991 के मुक़ाबले भी कम है. साफ़ शब्दों में कहें तो जब देश दिवालिया होने की कगार पर था, उस वक़्त भी लोगों का विश्वास कारोबार-व्यापार में आज के मुकाबले ज्यादा था.
नेशनल काउंसिल ऑफ एप्लाइड इकॉनमिक रिसर्च के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 के मुक़ाबले वित्त वर्ष 2020-21 के पहले क्वार्टर में बिज़नेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स में 62 फ़ीसदी गिरकर 42.6 पर लुढ़क गया है. अगर चालू वित्त वर्ष के पहले क्वार्टर की तुलना बीते वित्त वर्ष के आखिरी क्वार्टर से की जाए तो यह गिरावट 40 फीसदी की हुई है.
यह सर्वे बताता है कि उत्तर भारत में कारोबारियों का विश्वास व्यापार के मौजूदा हालात में सुधरने को लेकर 25.1% बढ़ा है लेकिन पूर्वी भारत में यह 89.3% और पश्चिम भारत में 68.1% तक गिर गया है. वहीं दक्षिण भारत में बिज़नेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स 53.9 फ़ीसदी तक नीचे चला गया है. यह सर्वे बताता है कि विकास दर की नेगेटिव ग्रोथ के अनुमान के बीच कारोबारियों में बढ़ती मायूसी बताती है कि हालात सुधरने में अच्छा ख़ासा वक़्त लगेगा. इसी सर्वे में रोज़गार को लेकर कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष के आखिरी क्वार्टर में अप्रशिक्षित श्रमिकों के रोज़गार में 6.7% की गिरावट दर्ज हुई थी लेकिन यही गिरावट चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 46 फ़ीसदी पर पहुंच गई. इसी श्रेणी में लाखों दिहाड़ी मजदूर भी आते हैं जिन्हे लॉकडाउन के दौरान मजबूरन महानगरों को छोड़कर सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांव पैदल जाना पड़ा था. इस सर्वे में कारोबारियों-व्यापारियों को डर है कि जल्द ही हालात सुधरने वाले नहीं है. लगभग 77% कंपनी मालिकों को आशंका है कि आने वाले 6 महीने में उनकी कंपनी में कोई नहीं भर्ती नहीं होगी. ज़ाहिर है जल्द ही सरकार ने ठोस क़दम नहीं उठाए तो अर्थव्यवस्था के पूरी तरह से पटरी से उतरने की नौबत भी आ सकती है।
यह सर्वे बताता है कि उत्तर भारत में कारोबारियों का विश्वास व्यापार के मौजूदा हालात में सुधरने को लेकर 25.1% बढ़ा है लेकिन पूर्वी भारत में यह 89.3% और पश्चिम भारत में 68.1% तक गिर गया है. वहीं दक्षिण भारत में बिज़नेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स 53.9 फ़ीसदी तक नीचे चला गया है. यह सर्वे बताता है कि विकास दर की नेगेटिव ग्रोथ के अनुमान के बीच कारोबारियों में बढ़ती मायूसी बताती है कि हालात सुधरने में अच्छा ख़ासा वक़्त लगेगा. इसी सर्वे में रोज़गार को लेकर कहा गया है कि बीते वित्त वर्ष के आखिरी क्वार्टर में अप्रशिक्षित श्रमिकों के रोज़गार में 6.7% की गिरावट दर्ज हुई थी लेकिन यही गिरावट चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 46 फ़ीसदी पर पहुंच गई. इसी श्रेणी में लाखों दिहाड़ी मजदूर भी आते हैं जिन्हे लॉकडाउन के दौरान मजबूरन महानगरों को छोड़कर सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांव पैदल जाना पड़ा था. इस सर्वे में कारोबारियों-व्यापारियों को डर है कि जल्द ही हालात सुधरने वाले नहीं है. लगभग 77% कंपनी मालिकों को आशंका है कि आने वाले 6 महीने में उनकी कंपनी में कोई नहीं भर्ती नहीं होगी. ज़ाहिर है जल्द ही सरकार ने ठोस क़दम नहीं उठाए तो अर्थव्यवस्था के पूरी तरह से पटरी से उतरने की नौबत भी आ सकती है।
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