जम्मू-कश्मीर: अमेरिका ने की अपील, मानवाधिकार मामलों में गंभीरता दिखाए सरकार
पिछले हफ़्ते जी-7 समिट के दौरान पीएम नरेंद्र मोदी और डोनल्ड ट्रंप के बीच जम्मू-कश्मीर विवाद पर मीटिंग हुई थी। तब पीएम मोदी ने साफ़ किया था कि जम्मू-कश्मीर भारत-पाकिस्तान के बीच का आंतरिक मामला है और इसमें किसी तीसरे देश को दख़ल देने की ज़रूरत नहीं है।
हालांकि इसके बावजूद अमेरिका ने बयान जारी कर कहा है कि कश्मीर घाटी में जारी कड़ी पाबंदियों और लोगों को हिरासत में लिए जाने की ख़बरों से वह बेहद चिंतित हैं। भारत स्थित अमेरिकी दूतावास ने अपने बयान में केंद्र सरकार से मानवाधिकार मामलों में गंभीरता दिखाने, क़ानूनी प्रक्रियाओं का पालन करने और प्रभावित लोगों से बातचीत की अपील की है।
अमेरिकी दूतावास ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जारी गतिविधियों से पैदा हो रही बड़ी चिंताओं और इसके कारण पूरे क्षेत्र में पैदा हो रही अस्थितरता को देख रहा है। प्रवक्ता ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि हम सभी पक्षों से नियंत्रण रेखा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने और सीमापार से आतंकवाद को रोकने की अपील करते हैं। इस अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्टों में दावा किया गया है कि कश्मीर घाटी में हिरासत में लिए गए लोगों की संख्या तीन हज़ार से पांच हज़ार तक के बीच है। इनमें राजनीतिक दलों के नेता, मानवाधिकार संगठनों के कार्यकर्ता और शिक्षाविदों के अलावा बच्चे भी शामिल हैं। रिपोर्टों में सेना पर कश्मीर घाटी के ग्रामीणों के टॉर्चर के आरोप भी लगाए गए हैं जिसे सेना ने नकार दिया है।
अमेरिकी दूतावास ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में जारी गतिविधियों से पैदा हो रही बड़ी चिंताओं और इसके कारण पूरे क्षेत्र में पैदा हो रही अस्थितरता को देख रहा है। प्रवक्ता ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि हम सभी पक्षों से नियंत्रण रेखा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने और सीमापार से आतंकवाद को रोकने की अपील करते हैं। इस अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्टों में दावा किया गया है कि कश्मीर घाटी में हिरासत में लिए गए लोगों की संख्या तीन हज़ार से पांच हज़ार तक के बीच है। इनमें राजनीतिक दलों के नेता, मानवाधिकार संगठनों के कार्यकर्ता और शिक्षाविदों के अलावा बच्चे भी शामिल हैं। रिपोर्टों में सेना पर कश्मीर घाटी के ग्रामीणों के टॉर्चर के आरोप भी लगाए गए हैं जिसे सेना ने नकार दिया है।
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