एमए-बीएड की डिग्री वाला हिंदी टीचर लॉकडाउन में मनरेगा का मज़दूर बन गया

by Shahnawaz Malik 3 years ago Views 2263

A Hindi teacher with MA-BEd degree became a MGNREG
लॉकडाउन में अपनी नौकरी गंवा चुके हिंदी के एक शिक्षक मनरेगा के तहत दिहाड़ी मज़दूर बन गए हैं. यह कड़वी सच्चाई रामअवतार सिंह राव की है जिन्होंने राजस्थान यूनिवर्सिटी से 2001 में राजनीति शास्त्र में एमए और 2009 में बीएड की पढ़ाई की. रामअवतार सिंह वर्षों से एक प्राइवेट स्कूल में 12वीं तक के बच्चों को हिंदी पढ़ा रहे थे लेकिन अब मज़दूरी कर रहे हैं.

लॉकडाउन में नौकरी का दूसरा ज़रिया नहीं होने के चलते राम अवतार हर दिन 200 रुपए की दिहाड़ी मिलती है. पहले उन्हें बतौर शिक्षक हर महीने 20 हज़ार की तनख़्वाह मिलती थी.


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लॉकडाउन में बढ़ती बेरोज़गारी के चलते राजस्थान सरकार ने मनरेगा के तहत काम बांटने का काम तेज़ किया है. बीते रविवार तक गहलोत सरकार तकरीबन 40 लाख लोगों को मनरेगा के तहत रोज़गार दे चुकी है. रामअवतार कहते हैं कि संकट के इस दौर में मनरेगा ने उनके लिए संजीवनी बूटी का काम किया है.

हालांकि यह सच्चाई सिर्फ राम अवतार की नहीं है. लॉकडाउन में स्कूल कॉलेज बंद होने से हज़ारों की तादाद में टीचर बेरोज़गार हुए हैं और घर चलाने के लिए दूसरे काम तलाश रहे हैं. जिस कंस्ट्रक्शन साइट पर राम अवतार मज़दूर कर रहे हैं, वहीं पर 2019 में ग्रेजुएट सीता वर्मा भी हैं. सीता के पति शिक्षक हैं लेकिन लॉकडाउन के चलते स्कूल बंद हैं. सीता ने कहा कि मौजूदा हालात में मज़दूरी के अलावा दूसरा कोई चारा नहीं है.

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