दिल्ली में AAP की चली आंधी, उड़ गई बीजेपी और कांग्रेस
दिल्ली की जनता ने अरविन्द केजरीवाल को प्रचंड मतों से जिताकर तीसरी बार सत्ता सौंप दी है। इस जीत के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उनकी पार्टी पांच साल और मेहनत से काम करेगी. वहीं 200 सांसद और 11 मुख्यमंत्रियों, कई केंद्रीय मंत्रियों को दिल्ली के चुनाव में उतारने वाली बीजेपी 7 सीटों पर सिमटती दिख रही है. 2015 की तरह इस बार भी कांग्रेस खाता खोलने में नाकामयाब रही।
दिल्ली विधानसभा में चली आम आदमी पार्टी की आंधी में बीजेपी और कांग्रेस पूरी तरह उड़ गई. प्रचंड जीत के साथ आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की सत्ता पर तीसरी बार क़ब्ज़ा कर लिया और 63 पर बढ़त बना रखी है. नतीजों की तस्वीर साफ़ होने के बाद सीएम अरविंद केजरीवाल अपनी पार्टी के मुख्यालय पहुंचे. उन्होंने कहा कि जिसने काम किया, दिल्लीवालों ने उसे ही वोट दिया.
इस चुनाव की नतीजे बताते हैं कि बीजेपी की तमाम कोशिशों के बावजूद वोटों का ध्रुवीकरण नहीं हुआ. बीजेपी नेताओं ने सीएम अरविंद केजरीवाल को सीधा आतंकवादी क़रार दिया, इस चुनाव को भारत बनाम पाकिस्तान का नाम दिया, शाहीन बाग़ में औरतों के धरने को ख़ूब उछाला लेकिन दिल्लीवालों पर कोई ख़ास फर्क़ नहीं पड़ा. आम आदमी पार्टी के वोट प्रतिशत में मामूली गिरावट दर्ज हुई. पार्टी ने इस प्रचंड जीत की वजह दिल्ली में पांच साल में हुए कामकाज को बताया है. इस चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए बीजेपी ने पूरी ताक़त झोंक दी थी. ख़ुद कमान गृह मंत्री अमित शाह ने संभाल रखी थी और उन मुद्दों को ज़ोरशोर से उछाला गया जिससे समाज का ध्रुवीकरण हो सकता था. प्रधामंत्री मोदी ने भी 2 चुनावी रैलियां की, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को प्रचार में उतारा लेकिन बीजेपी सिर्फ 7 सीटों पर सिमटती दिख रही है। बीजेपी को सिर्फ चार सीटों का फायदा होता दिख रहा है और उसके वोट शेयर में बढ़ोतरी हुई है. 2015 में पार्टी ने 32.1 फीसदी मत हासिल किये थे, वहीं 2019 में पार्टी 38.6 फीसदी मत पाने में कामयाब रही है। इस हार की ज़िम्मेदारी दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने ली है. कांग्रेस का हाल पिछली बार जैसा ही रहा जिसे खाता तक नहीं खुला. उसके ज़्यादातर उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हो गई और वोट शेयर भी टूट गया. हालांकि शीला दीक्षित की अगुवाई में इसी कांग्रेस ने दिल्ली में 15 साल तक राज किया है लेकिन अब दिल्ली में उसके लिए ज़मीन बेहद सिकुड़ चुकी है.
इस चुनाव की नतीजे बताते हैं कि बीजेपी की तमाम कोशिशों के बावजूद वोटों का ध्रुवीकरण नहीं हुआ. बीजेपी नेताओं ने सीएम अरविंद केजरीवाल को सीधा आतंकवादी क़रार दिया, इस चुनाव को भारत बनाम पाकिस्तान का नाम दिया, शाहीन बाग़ में औरतों के धरने को ख़ूब उछाला लेकिन दिल्लीवालों पर कोई ख़ास फर्क़ नहीं पड़ा. आम आदमी पार्टी के वोट प्रतिशत में मामूली गिरावट दर्ज हुई. पार्टी ने इस प्रचंड जीत की वजह दिल्ली में पांच साल में हुए कामकाज को बताया है. इस चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए बीजेपी ने पूरी ताक़त झोंक दी थी. ख़ुद कमान गृह मंत्री अमित शाह ने संभाल रखी थी और उन मुद्दों को ज़ोरशोर से उछाला गया जिससे समाज का ध्रुवीकरण हो सकता था. प्रधामंत्री मोदी ने भी 2 चुनावी रैलियां की, कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों, केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को प्रचार में उतारा लेकिन बीजेपी सिर्फ 7 सीटों पर सिमटती दिख रही है। बीजेपी को सिर्फ चार सीटों का फायदा होता दिख रहा है और उसके वोट शेयर में बढ़ोतरी हुई है. 2015 में पार्टी ने 32.1 फीसदी मत हासिल किये थे, वहीं 2019 में पार्टी 38.6 फीसदी मत पाने में कामयाब रही है। इस हार की ज़िम्मेदारी दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने ली है. कांग्रेस का हाल पिछली बार जैसा ही रहा जिसे खाता तक नहीं खुला. उसके ज़्यादातर उम्मीदवारों की ज़मानत ज़ब्त हो गई और वोट शेयर भी टूट गया. हालांकि शीला दीक्षित की अगुवाई में इसी कांग्रेस ने दिल्ली में 15 साल तक राज किया है लेकिन अब दिल्ली में उसके लिए ज़मीन बेहद सिकुड़ चुकी है.
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