बिहार के बाद आंध्र प्रदेश भी एनपीआर के ख़िलाफ़ हुआ, सीएम जगन लाएंगे प्रस्ताव

by Rahul Gautam 4 years ago Views 3758

After Bihar, Andhra Pradesh is also against NPR, C
नागरिकता संशोधन क़ानून पर बीजेपी को सपोर्ट करने वाले दल भी अब एनआरसी और एनपीआर को लेकर पलटी मार रहे हैं. बिहार और तमिलनाडु के बाद अब आंध्रप्रदेश ने भी ऐलान किया है कि राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर यानी एनपीआर का कामकाज साल 2010 में हुए एनपीआर के मुताबिक होगा.


आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी ने ट्वीट किया कि एनपीआर को लेकर अप्ल्संखयक समुदाय में डर का माहौल है. उनकी सरकार केंद्र सरकार से मांग करेगी कि एनपीआर के 2010 वाले स्वरुप को ही माना जाए. उन्होंने कहा कि वे आने वाले विधानसभा सत्र में इसके लिए एक प्रस्ताव भी पारित करेंगे। यहां यह जानना ज़रूरी है कि वाईएसआर कांग्रेस ने भी जेडीयू और AIADMK की तरह नागरिकता संशोधन कानून को संसद में समर्थन कर इसको पास कराने में अहम भूमिका निभाई थी।


तमिलनाडु विधानसभा में भी इस तरह का प्रस्ताव पास हो सकता है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री के पलनीसामी ने कह चुके हैं कि वो राज्य विधानसभा में जल्द एनआरसी  के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहे हैं। इससे पहले मंगलवार को बिहार विधानसभा में राज्य में एनआरसी को नहीं लागू करने और एनपीआर के  पुराने स्वरूप को मानने के पक्ष में प्रस्ताव पास हुआ था। इसी के साथ एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पास होने के बाद बिहार ऐसा पहला राज्य बन गया है, जहां सरकार में बीजेपी में भी शामिल हैं और बावजूद इसके प्रस्ताव पास हो गया। 

एनआरसी और एनपीआर को लेकर कई राज्य सरकारें  पहले ही क़ानून के विरोध में खड़ी हैं, जिसकी वजह से इस क़ानून को लागू करवा पाना केंद्र सरकार की गले की फांस बना हुआ है।  राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, केरल, और केंद्र शासित राज्य पुड्डचेरी पहले ही सीएए, एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पास कर चुकी है और कई दूसरी राज्य सरकारें जल्द प्रस्ताव पास कर सकती हैं।  

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