क्या देश में कोरोना से लड़ने के लिए सफाई हेतु पर्याप्त पानी है ?
पूरी दुनिया इस वक़्त कोरोनावायरस से टक्कर ले रही है। इसे मात देने का हथियार है सोशल डिस्टन्सिंग और बार बार हाथ धोना ताकि संक्रमण से बचा जा सके। लेकिन भारत जैसे विकासशील देशों में पानी की कितनी किल्लत है, उसका अंदाज़ा नीति आयोग की हालिया रिपोर्ट से लगाया जा सकता है जो बताती है कि जल संकट की वजह से देश की 60 करोड़ आबादी प्रभावित है. यानि देश की तक़रीबन आधी आबादी के पास पीने और अन्य ज़रूरतों के लिए पर्याप्त पानी नहीं है।
सेन्सस 2011 के आंकड़े बताते हैं कि देश के करीब 16 फीसदी, परिवारों के पास साफ़ पीने के पानी का जरिया नहीं है। आँकड़ों के मुताबिक झारखंड में 60 फ़ीसदी, ओडिशा में 75 फ़ीसदी, मध्य प्रदेश में 78 फ़ीसदी और महाराष्ट्र में 83 फ़ीसदी लोगों को पीने का साफ़ पानी मिल पाता है। गुजरात, राजस्थान, कर्णाटक और तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी साफ़ पीने का पानी सभी को मुहैया नहीं हो पाता। आसान भाषा में कहें तो देश में करोड़ो लोग पीने के पानी के लिए जूझ रहे है।
जल शक्ति मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि जिन शहरों में पानी की क़िल्लत सबसे ज़्यादा है, उनमें दिल्ली, मुंबई, नासिक, पुणे, ग्वॉलियर, इंदौर, मेरठ, ग़ाज़ियाबाद, लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, गुवाहाटी, वड़ोदरा, जयपुर, भुवनेश्वर, फरीदाबाद और अमृतसर, लुधियाना हैं. इन शहरों में ग्राउंड वॉटर 4 मीटर तक नीचे चला गया है. देश के चार बड़े महानगरों में शामिल चेन्नई में पिछले साल गर्मियों में पानी ख़त्म हो गया था. देश के ग्रामीण इलाक़ों में हालात बिगड़ चुके हैं. इसी मंत्रालय के मुताबिक बीते दस सालों में लगभग 66 फ़ीसदी कुओं में पानी का स्तर 2 मीटर तक नीचे चला गया है। कह सकते है कि भारत में कोरोना के खिलाफ जंग कई मोर्चों पर चल रही है। भारत ना केवल इस जानलेवा बीमारी से , बल्कि भूख, बेरोज़गारी और पानी की कमी और कई सारे मोर्चो से एक साथ लड़ रहा है।
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