जम्मू-कश्मीर: पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्लाह का घर जेल में तब्दील
तीन बार जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रहे फारूक अब्दुल्लाह को जन सुरक्षा कानून के तहत गिरफ़्तार करने के बाद उनके घर को जेल में तब्दील कर दिया गया है. फारूक अब्दुल्लाह का घर श्रीनगर में गुपकर रोड पर है और वहां कड़ी नाकेबंदी कर दी गई है. मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि जन सुरक्षा कानून के तहत उन्हें अभी 12 दिन तक हिरासत में रखा जाएगा जिसे तीन महीने तक बढ़ाया भी जा सकता है.
जम्मू-कश्मीर का जन सुरक्षा कानून विवादित माना जाता है जिसे आठ अप्रैल 1978 को मंज़ूरी मिली थी. तब जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री शेख़ अब्दुल्लाह थे और उन्होंने ही इस क़ानून को विधानसभा में पारित करवाया था.
हालांकि तब इस क़ानून का मकसद लकड़ी के तस्करों पर शिकंजा कसना था लेकिन बाद में इसका इस्तेमाल घाटी के राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर किया जाने लगा और अब खुद शेख़ अब्दुल्लाह के बेटे फारूक अब्दुल्लाह इसका शिकार हुए हैं. मानवाधिकार संगठन इस कानून के सख़्त प्रावधानों के ख़िलाफ़ अक्सर सवाल उठाते हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016-17 के बीच पीएसए कानून के तहत 2,400 गिरफ़्तारियां हुई थीं लेकिन इनमें से 58 फ़ीसदी मामलों को अदालत ने खारिज कर दिये थे. इस क़ानून के तहत प्रावधान है कि 16 साल की उम्र के किसी भी शख़्स को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में रखा जा सकता है. वो सुनवाई के लिए अपील नहीं कर सकता. अब देखना ये है कि फारूक अब्दुल्लाह कब तक इसका शिकार बने रहते हैं.
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हालांकि तब इस क़ानून का मकसद लकड़ी के तस्करों पर शिकंजा कसना था लेकिन बाद में इसका इस्तेमाल घाटी के राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर किया जाने लगा और अब खुद शेख़ अब्दुल्लाह के बेटे फारूक अब्दुल्लाह इसका शिकार हुए हैं. मानवाधिकार संगठन इस कानून के सख़्त प्रावधानों के ख़िलाफ़ अक्सर सवाल उठाते हैं. एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016-17 के बीच पीएसए कानून के तहत 2,400 गिरफ़्तारियां हुई थीं लेकिन इनमें से 58 फ़ीसदी मामलों को अदालत ने खारिज कर दिये थे. इस क़ानून के तहत प्रावधान है कि 16 साल की उम्र के किसी भी शख़्स को दो साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में रखा जा सकता है. वो सुनवाई के लिए अपील नहीं कर सकता. अब देखना ये है कि फारूक अब्दुल्लाह कब तक इसका शिकार बने रहते हैं.
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