NPR पर अलग-अलग बयान, केन्द्र सरकार के मंत्रियों में तालमेल नहीं!
केन्द्र सरकार के नए क़ानूनों के ख़िलाफ़ देशभर में लोग सड़कों पर हैं। इस बीच एनपीआर पर चर्चा के लिए गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों की बैठक बुलाई है। दरअसल, केन्द्र सरकार ने क्रोनोलोजी में बदलाव करते हुए पहले एनपीआर बनाने की प्रक्रिया शुरू करने वाली है। लेकिन एनपीआर को लेकर भी विरोध हो रहा है। इस पर केन्द्र सरकार में गृह मंत्री से लेकर क़ानून मंत्री और सूचना मंत्री तक के अलग-अलग बयान आ चुके हैं।
सूचना मंत्रालय
बीते महीने 24 दिसंबर को सूचना मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी दी की पहले एनपीआर बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। उन्होंने कहा था कि एनपीआर में किसी भी प्रकार का प्रूफ नहीं मांगा जाएगा और ये सेल्फ सर्टिफिकेशन होगी। प्रकाश जावड़ेकर ने आगे कहा कि एनपीआर के लिए बायोमेट्रिक जानकारियां भी देने की भी ज़रूरत नहीं है। लेकिन सेंसस इंडिया की वेबसाइट के मुताबिक़ एनपीआर बनाने में बायोमेट्रिक डेटा भी ली जाएगी। गृह मंत्रालय गृह मंत्री अमित शाह ने क्रोनोलोजी समझाते हुए कहा था कि नागरिकता क़ानून के बाद एनआरसी आएगी। लेकिन सरकार ने बीच में एनपीआर बनाने की घोषणा करने के साथ ही 8,754 करोड़ रूपये का आवंटन भी किया। इसके बाद ही देशभर में एनपीआर को लेकर विरोध शुरू हो गया। तर्क दिये जा रहे हैं कि एनपीआर, एनआरसी की ओर पहला क़दम है। लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने इस तर्क को ख़ारिज करते हुए कहा था कि एनपीआर और एनआरसी के बीच कोई संबंध नहीं है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमित शाह के संसद में दिये बयान को ख़ारिज करते हुए कहा था कि पिछले पांच सालों में एनआरसी शब्द का ज़िक्र तक नहीं हुआ। क़ानून मंत्रालय उधर क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक अख़बार को दिये इंटरव्यू में कहा कि एनआरसी को लेकर फिलहाल कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि एनपीआर का डेटा, एनआरसी की प्रक्रिया में इस्तेमाल किया भी जा सकता है और नहीं भी। केन्द्र सरकार द्वारा लाए जा रहे नए क़ानूनों पर मंत्रालयों के बीच ही तालमेल नहीं है। सेंसस इंडिया और गृह मंत्रालय की रिपोर्ट केन्द्रीय मंत्रियों के बयान के ठीक उलट है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी पिछले पांच साल की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि एनपीआर, एनआरसी की ओर पहला क़दम है। लेकिन मंत्रालय के मंत्री अमित शाह ने इस बात को सिरे से ख़ारिज किया है।
बीते महीने 24 दिसंबर को सूचना मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी दी की पहले एनपीआर बनाने की प्रक्रिया शुरू होगी। उन्होंने कहा था कि एनपीआर में किसी भी प्रकार का प्रूफ नहीं मांगा जाएगा और ये सेल्फ सर्टिफिकेशन होगी। प्रकाश जावड़ेकर ने आगे कहा कि एनपीआर के लिए बायोमेट्रिक जानकारियां भी देने की भी ज़रूरत नहीं है। लेकिन सेंसस इंडिया की वेबसाइट के मुताबिक़ एनपीआर बनाने में बायोमेट्रिक डेटा भी ली जाएगी। गृह मंत्रालय गृह मंत्री अमित शाह ने क्रोनोलोजी समझाते हुए कहा था कि नागरिकता क़ानून के बाद एनआरसी आएगी। लेकिन सरकार ने बीच में एनपीआर बनाने की घोषणा करने के साथ ही 8,754 करोड़ रूपये का आवंटन भी किया। इसके बाद ही देशभर में एनपीआर को लेकर विरोध शुरू हो गया। तर्क दिये जा रहे हैं कि एनपीआर, एनआरसी की ओर पहला क़दम है। लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने इस तर्क को ख़ारिज करते हुए कहा था कि एनपीआर और एनआरसी के बीच कोई संबंध नहीं है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमित शाह के संसद में दिये बयान को ख़ारिज करते हुए कहा था कि पिछले पांच सालों में एनआरसी शब्द का ज़िक्र तक नहीं हुआ। क़ानून मंत्रालय उधर क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक अख़बार को दिये इंटरव्यू में कहा कि एनआरसी को लेकर फिलहाल कोई चर्चा नहीं हुई है। उन्होंने कहा कि एनपीआर का डेटा, एनआरसी की प्रक्रिया में इस्तेमाल किया भी जा सकता है और नहीं भी। केन्द्र सरकार द्वारा लाए जा रहे नए क़ानूनों पर मंत्रालयों के बीच ही तालमेल नहीं है। सेंसस इंडिया और गृह मंत्रालय की रिपोर्ट केन्द्रीय मंत्रियों के बयान के ठीक उलट है। गृह मंत्रालय द्वारा जारी पिछले पांच साल की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि एनपीआर, एनआरसी की ओर पहला क़दम है। लेकिन मंत्रालय के मंत्री अमित शाह ने इस बात को सिरे से ख़ारिज किया है।
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