मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा की गिरफ़्तारी पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई
भीमा-कोरेगांव हिंसा मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की बेंच ने गौतम नवलखा को अंतरिम प्रोटेक्शन देते हुए केस की अगली सुनवाई 15 अक्टूबर तक के लिए टाल दी है. साथ ही, बेंच ने महाराष्ट्र पुलिस से अगली सुनवाई पर गौतम नवलखा से जुड़े ज़रूरी दस्तावेज़ लाने के लिए कहा है.
सुप्रीम कोर्ट में ये सुनवाई गौतम नवलखा की अर्ज़ी पर चल रही है. भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में उन्होंने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों को निराधार बताते हुए एफ़आईआर ख़ारिज करने की मांग की है. मगर गौतम नवलखा की मुश्किलें उस वक़्त बढ़ गईं जब 13 सितंबर को उनकी इस अर्ज़ी को बॉम्बे हाईकोर्ट ने ठुकरा दिया और गौतम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया.
यह मामला इसलिए भी सुर्ख़ियों में है क्योंकि गौतम नवलखा की अर्ज़ी पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीश अब तक ख़ुद को अलग कर चुके हैं. इनमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल हैं. इसे बाद जस्टिस एन. वी. रमना, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस रविंद्र भट भी ख़ुद को इस केस की सुनवाई से अलग कर चुके हैं.
यह मामला इसलिए भी सुर्ख़ियों में है क्योंकि गौतम नवलखा की अर्ज़ी पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट के पांच न्यायाधीश अब तक ख़ुद को अलग कर चुके हैं. इनमें चीफ जस्टिस रंजन गोगोई भी शामिल हैं. इसे बाद जस्टिस एन. वी. रमना, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस रविंद्र भट भी ख़ुद को इस केस की सुनवाई से अलग कर चुके हैं.
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