दिल्ली चुनाव में किसे लगेगा करंट?

by Darain Shahidi 4 years ago Views 2853

Who will get electric current in Delhi elections?
दिल्ली चुनाव में किसे लगेगा करंट?

दिल्ली में चुनाव है और एक बार फिर हिंदू-मुस्लिम तनाव है। प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, सूचना मंत्री, प्रदेशों के मुख्यमंत्री और दूसरे मंत्रिगन, छोटे नेता बड़े नेता, छोटे नेता से बड़े नेता बनने की चाहत रखने वाले कार्यकर्ता सब चुनाव में मगन हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया ने पीएम को क्वोट (Quote) किया है। लिखा है कि शाहीन बाग़ और जामिया मुल्क में अमन चैन को ख़त्म करने की साज़िश है। 


डिस्प्ले इंन इंडिया फ्लैग, स्टैच्यू इज़ जस्ट अ डिसेप्शन (Statute is just a deception). यानी जो लोग हाथों में तिरंगा और संविधान लिए हैं वे धोखा दे रहे हैं। उनकी मंशा कुछ और है। अब शायद शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों के लिए हनुमान जी की तरह छाती चीर के देशभक्ति दिखाने का समय आ गया है। नए भारत में सबसे बड़ी चुनौती देशभक्ति साबित करने की है। दिल्ली में रैलियों का रेला लगा है और मंत्री से लेकर संत्री तक हर कोई वोटरों को हड़का रहा है कि ये नहीं करोगे तो वो हो जाएगा ऐसा नहीं करोगे तो वैसा हो जाएगा। 

इस बार का दिल्ली का चुनाव प्रचार इन सब बातों के लिए याद किया जाएगा। गाली गलौज, गोली मार दो। आतंकवादी। अराजक। पाकिस्तान। ग़द्दार। शाहीन बाग़ संयोग नहीं प्रयोग है। बोली से नहीं माने तो गोली मार दो। बटन इतने ग़ुस्से में दबाना कि शाहीन बाग़ में करंट लगे। लेकिन हर बार के चुनावी नतीजे यही बताते हैं की जनता ग़ुस्से में वोट नहीं करती जनता सोच समझ कर वोट करती है। जब नतीजे आते हैं तो पता चलता है कि जनता किसी एक पार्टी को ऐसा करंट मारती है कि उनकी सारी अकड़ निकल जाती है। चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी या कोई और। असली करंट जनता मारती है और ज़रूर मारती है। 

चुनावी सर्वे आने शुरू गए हैं और बिजली का झटका तो नहीं लेकिन चुनावी मैदान में ज़ोर का झटका धीरे से लगने के संकेत मिल रहे हैं। टीवी चैनेल टाइम्स नाउ का एक सर्वे आया है। और इस सर्वे ने बीजेपी को करंट लगा दिया है। इस सर्वे में अंदाज़ा लगाया गया है कि दिल्ली में आम आदमी की सरकार बनने वाली है। भाजपा को महज़ दस से चौदह सीटें मिलेंगी और कांग्रेस को दो सीट भी मिल जाए तो ग़णीमत है। आम तौर पर चुनाव से पहले होने वाले सर्वे पर हारने वाली पार्टी विश्वास नहीं करती है। करंट तभी लगता है जब नतीजे आ जाते हैं, दरअसल जनता की उंगली में करंट है। 

तो इस बार जनता दिल्ली की जनता किसे करंट मारने वाली है। बीजेपी को जिसने प्रधानमंत्री गृहमंत्री के साथ साथ मंत्रिमंडल के ढेर सारे साथियों और प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों और मुख्यमंत्री बनने की चाहत रखने वाले नेताओं, अभिनेताओं और गायकों की फ़ौज मैदान में उतार दी है। जनता किसे करंट मारेगी? क्या आम आदमी पार्टी को जिसने शाहीन बाग़ पर सीएए पर एनआरसी पर देश में होने वाले आंदोलनों पर ज़्यादा कुछ ना बोलकर सिर्फ़ यही कहा है कि हम तो दिल्ली वालों के लिए काम करते हैं जी इसलिए वोट हमें ही देना। और साथ में थोड़ा हनुमान चालीसा और मैनिफ़ेस्टो में देशभक्ति की पाठशाला शुरू करने का वादा भी है।  क्या जनता उनकी बात मानेगी या जनता उन्हें करंट मारेगी? 

क्या जनता कांग्रेस को करंट मारेगी? जिसे अभी तक समझ नहीं आया है की दिल्ली में चुनाव लड़ना भी चाहिए या नहीं? या समझ आ गया है कि उनकी हार पक्की है इसलिए आम आदमी पार्टी से समझदार हो गयी है। ताकि वे तो हार ही रहे हैं भाजपा भी हारे। सीएए-एनआरसी-एनपीआर के इर्द गिर्द पूरा चुनाव प्रचार है, क्रोनोलोजी समझिए के बयान के बाद से लगातार भ्रम बनाने के बाद, अब संसद में एक सवाल के जवाब में कहा गया कि अब तक सरकार ने देश भर में एनआरसी पर कोई फ़ैसला नहीं लिया है। प्रदर्शंकरीयों का कहना है कि इसलिए तो विरोध हो रहा है कि सीएए को इंक्लूसिव बनाइये नहीं तो वापस लीजिए ताकि एनआरसी में भेदभाव से बचा जा सके।


दिल्ली के चीफ़ इलेक्टोरल ऑफ़िसर रणबीर सिंह के अनुसार जब से चुनावों की घोषणा हुई है तबसे 380 बिना लाइसेंस हथियार बरामद किए गए हैं। 5,592 लाइसेंस्ड आर्म्स डिपोज़िट किये गए हैं। एहतियातन। और क़रीब एक लाख लोगों के ख़िलाफ़ चुनाव आयोग ऐक्शन ले चुका है।


यानि साम दाम दंड भेद सब तरह की तय्यारी है। सत्ता पाने की इतनी प्रबल इच्छा कि कुछ भी कर गुज़रने को तय्यार हैं। वादे करके पूरा नहीं करना नेताओं का पुराना रोग है। चुनाव से पहले कुछ और और चुनाव के बाद कुछ और। बड़े बड़े वादे करके मुकर जाने से ही जनता को ग़ुस्सा आता है और तब वो इतने ग़ुस्से में बटन दबाती है कि करंट सत्ता के गलियारे में लगती है। अहंकार और घमंड चूर होता है। सरकार हिल जाती है। पार्टी सत्ता से बाहर हो जाती है। सचमुच जनता की उंगली में ही करंट है। 

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