Tesla की मॉडल-3 कार लॉन्च, क़ीमत 50,000 डॉलर से शुरू
बैट्री से चलने वाली और दुनिया की महंगी कारों में शामिल टेस्ला ने अपने चीनी प्लांट में बनी कारों की पहली खेप की डिलिवरी दे दी है। ये कारें कंपनी की चीन के शंघाई स्थित प्लांट में बनाई गई है। जो टेस्ला का पहली ग़ैर अमेरिकी प्लांट है। पिछले साल ही कंपनी ने चीन में अपनी पहली ग़ैर अमेरिकी प्लांट शुरू किया था।
टेस्ला अब 100 साल पुरानी जनरल मोटर्स से बड़ी कंपनी बन गई है। दरअसल कंपनी के 15 कर्मचारियों ने टेस्ला मॉडल-3 कारों के ऑडर दिये थ। पहली खेप के बारे में बीते हफ्ते एक समारोह आयोजित कर इसकी घोषणा की गई थी। जिसके बाद टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने चीन के शंघाई पहुंचकर मॉडल-3 कारों को अपने कर्मचारियों को भेंट किया। ये कारें टेस्ला की पहली ग़ैर अमेरिकी प्लांट में बनाई गई है। पिछले साल ही कंपनी ने चीन के शंघाई में इस प्लांट की शुरुआत की था।
चीन में बनी टेस्ला की मॉडल-3 कारों की कीमत 50,000 डॉलर है जो अमेरिका से आधी है। ख़ास बात ये है कि ये इलेक्ट्रिक कारें हैं। क़यास लगाया जा रहा है कि टेस्ला की मॉडल-3 कार चीन की लोकल इलेक्ट्रिक कारों जैसे- एनआईओ, ज़्पेंग मोटर्स के साथ-साथ वैश्विक कार निर्माता जैसे- बीएमडब्ल्यू और मारसिडीज़ बेंज जैसी कारों को टक्कर दे सकती है। वीडियो देखिये दरअसल अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर से अमेरिकी कार निर्माताओं को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। जिसे देखकर कार कंपनियां अमेरिका से बाहर मैन्युफैक्चरिंग का फैसला कर रही है। ताकि ट्रेड वॉर से हो रहे नुकसान की भरपाई हो सके। इससे राष्ट्रपति ट्रंप की ‘’मेक इन अमेरिका’’ मुहिम को धक्का लगेगा।
LIVE: Elon Musk in Shanghai!! $TSLA #Tesla @elonmusk https://t.co/fccoRRzrBY
— Tesla New York (@TeslaNY) January 7, 2020
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चीन में बनी टेस्ला की मॉडल-3 कारों की कीमत 50,000 डॉलर है जो अमेरिका से आधी है। ख़ास बात ये है कि ये इलेक्ट्रिक कारें हैं। क़यास लगाया जा रहा है कि टेस्ला की मॉडल-3 कार चीन की लोकल इलेक्ट्रिक कारों जैसे- एनआईओ, ज़्पेंग मोटर्स के साथ-साथ वैश्विक कार निर्माता जैसे- बीएमडब्ल्यू और मारसिडीज़ बेंज जैसी कारों को टक्कर दे सकती है। वीडियो देखिये दरअसल अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर से अमेरिकी कार निर्माताओं को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। जिसे देखकर कार कंपनियां अमेरिका से बाहर मैन्युफैक्चरिंग का फैसला कर रही है। ताकि ट्रेड वॉर से हो रहे नुकसान की भरपाई हो सके। इससे राष्ट्रपति ट्रंप की ‘’मेक इन अमेरिका’’ मुहिम को धक्का लगेगा।
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