इंडिगो एयरलाइंस के 2300 स्टाफ पर छंटनी की तलवार, सीईओ का मेल आया
कोरोना महामारी के चलते पटरी से उतर चुके एविएशन सेक्टर में छंटनी का दौर जारी है. अब देश की सबसे बड़ी एयरलाइंस कंपनी इंडिगो ने अपने 10 फीसदी कर्मचारियों को नौकरी से निकालने का फैसला किया है.
इंडिगो एयरलाइन्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी रोनोजॉय दत्ता ने ई-मेल के ज़रिये से कहा कि कंपनी को आगे चलाने के लिए हमें कुछ समय के लिए अपने खर्चों में और लागत में कटौती की ज़रुरत है. इसलिए हम पहली बार 10 फ़ीसदी कर्मचारियों की छंटनी करने जा रहे है.
इंडिगो एयरलाइन्स देश में एविएशन इंडस्ट्री की लगभग 50 फीसदी की हिस्सेदार है और एविएशन सेक्टर में सबसे ज़्यादा कर्मचारियों वाली कंपनी भी है. पिछले वित्त वर्ष के हिसाब से इंडिगो एयरलाइन्स के पेरोल पर 23 हज़ार 531 कर्मचारी थे. माना जा रहा है कि 10 फ़ीसदी कर्मचारियों की छंटनी की गाज दो हज़ार 300 से ज्यादा कर्मचारियों पर गिरेगी. देशभर में घरेलु उड़ाने 25 मई से शुरू की गई थीं लेकिन बढ़ते संक्रमण की रोकथाम और तमाम राज्यों में लॉकडाउन की वापसी के चलते सिर्फ 30 फीसदी उड़ाने ही संचालित हैं. संक्रमण के बढ़ते डर से लोग अभी भी सफर करने से बच रहे हैं. इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का अनुमान है कि इस महामारी के चलते एविएशन सेक्टर को भारी नुकसान की आशंका है. क्रिसिल का दावा है कि वित्तवर्ष 2020 और वित्तवर्ष 2022 के बीच भारतीय एविएशन सेक्टर को एक लाख 30 हज़ार करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है. इंडिगो एयरलाइन्स के इस फैसले से पहले भी अन्य एयरलाइंस ने अपने कर्मचारियों को बिना सैलरी के छुट्टी पर भेज दिया है और हर महीने ये संख्या बढ़ रही है. गो एयर ने अपने कर्मचारियों को अप्रैल से बिना वेतन के छुट्टी पर रखा हुआ है. स्पाइसजेट भी इसी तरह छुट्टी के साथ काम के घंटों के हिसाब से कर्मचारियों को पैसे दे रहा है.
इंडिगो एयरलाइन्स देश में एविएशन इंडस्ट्री की लगभग 50 फीसदी की हिस्सेदार है और एविएशन सेक्टर में सबसे ज़्यादा कर्मचारियों वाली कंपनी भी है. पिछले वित्त वर्ष के हिसाब से इंडिगो एयरलाइन्स के पेरोल पर 23 हज़ार 531 कर्मचारी थे. माना जा रहा है कि 10 फ़ीसदी कर्मचारियों की छंटनी की गाज दो हज़ार 300 से ज्यादा कर्मचारियों पर गिरेगी. देशभर में घरेलु उड़ाने 25 मई से शुरू की गई थीं लेकिन बढ़ते संक्रमण की रोकथाम और तमाम राज्यों में लॉकडाउन की वापसी के चलते सिर्फ 30 फीसदी उड़ाने ही संचालित हैं. संक्रमण के बढ़ते डर से लोग अभी भी सफर करने से बच रहे हैं. इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का अनुमान है कि इस महामारी के चलते एविएशन सेक्टर को भारी नुकसान की आशंका है. क्रिसिल का दावा है कि वित्तवर्ष 2020 और वित्तवर्ष 2022 के बीच भारतीय एविएशन सेक्टर को एक लाख 30 हज़ार करोड़ रुपये तक का नुकसान हो सकता है. इंडिगो एयरलाइन्स के इस फैसले से पहले भी अन्य एयरलाइंस ने अपने कर्मचारियों को बिना सैलरी के छुट्टी पर भेज दिया है और हर महीने ये संख्या बढ़ रही है. गो एयर ने अपने कर्मचारियों को अप्रैल से बिना वेतन के छुट्टी पर रखा हुआ है. स्पाइसजेट भी इसी तरह छुट्टी के साथ काम के घंटों के हिसाब से कर्मचारियों को पैसे दे रहा है.
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