उद्योग कर्ज़ की रफ़्तार रुकी, शून्य फीसदी हुई क्रडिट ग्रोथ की रफ़्तार: RBI
देश में अर्थव्यवस्था के बेहाल होने का एक और सबूत सामने आया है. इस वित्तीय वर्ष के पहले छह महीने में क्रेडिट ग्रोथ यानी कर्ज़ विकास दर शून्य पर पहुँच गया है। इसका सीधा मतलब है कि उद्योग और व्यापार बढ़ने के बजाय सिकुड़ रहे हैं क्योंकि क्रेडिट से ही व्यापार का विकास होता है। इससे पहले उद्योग विकास दर सितम्बर में नकारात्मक हो चुकी है।
नवम्बर महीने की रिज़र्व बैंक बुलेटिन में साफ़-साफ़ लिखा है कि इस साल अब तक क्रेडिट ग्रोथ सिर्फ 0.1 फीसदी के रफ़्तार से बढ़ी है जबकि पिछले साल ये 8.2 फीसदी थी। मतलब ये की लोग उद्योग और व्यापार विस्तार के लिए क़र्ज़ नहीं ले रहें हैं।
सबसे बड़ी गिरावट जहाज़रानी उद्योग या शिपिंग में दिखाई दी है। जो 23 फीसदी नेगेटिव है। थोक व्यापार क्रेडिट में 10 फीसदी की गीरावट आई है। पर्सनल लोन केटेगरी में उपभोक्ता वस्तुओं के लिए पिछले साल क़र्ज़ में 69 फीसदी की वृद्धि हुई थी जो इस साल 13 फीसदी नेगेटिव में है। कृषि क्षेत्र के लोन में दो तिहाई गिरावट आई है। माइक्रो और स्मॉल इकाइयों यानी सूक्षम और लघु उद्योग भी मंदी की भारी चपेट में हैं। क्रेडिट ग्रोथ नेगेटिव में है। सिर्फ फ़ूड क्रेडिट में भारी वृद्धि हुई है, यानि लोग उपभोग के लिए क़र्ज़ ले रहे हैं। इन आंकड़ों से पहले सरकार ने उद्योग विकास के आंकड़े जारी किए थे जिनमें औद्योगिक विकास दर सितम्बर में -4.3 फीसदी थी जो पिछले सात साल में पहली बार हुआ है। सबसे ज़्यादा कमी खनिज और पेट्रोलियम पदार्थों में हुई थी। सरकार द्वारा जारी इन आंकड़ों से साफ़ है कि अर्थव्यवस्था चरमरा रही है। सरकार की टैक्स आमदनी कम हो रही है और वो घाटे की भरपाई के लिए अब भारत पेट्रोलियम जैसी बड़ी कंपनियां बेच रही है। वीडियो देखिये
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सबसे बड़ी गिरावट जहाज़रानी उद्योग या शिपिंग में दिखाई दी है। जो 23 फीसदी नेगेटिव है। थोक व्यापार क्रेडिट में 10 फीसदी की गीरावट आई है। पर्सनल लोन केटेगरी में उपभोक्ता वस्तुओं के लिए पिछले साल क़र्ज़ में 69 फीसदी की वृद्धि हुई थी जो इस साल 13 फीसदी नेगेटिव में है। कृषि क्षेत्र के लोन में दो तिहाई गिरावट आई है। माइक्रो और स्मॉल इकाइयों यानी सूक्षम और लघु उद्योग भी मंदी की भारी चपेट में हैं। क्रेडिट ग्रोथ नेगेटिव में है। सिर्फ फ़ूड क्रेडिट में भारी वृद्धि हुई है, यानि लोग उपभोग के लिए क़र्ज़ ले रहे हैं। इन आंकड़ों से पहले सरकार ने उद्योग विकास के आंकड़े जारी किए थे जिनमें औद्योगिक विकास दर सितम्बर में -4.3 फीसदी थी जो पिछले सात साल में पहली बार हुआ है। सबसे ज़्यादा कमी खनिज और पेट्रोलियम पदार्थों में हुई थी। सरकार द्वारा जारी इन आंकड़ों से साफ़ है कि अर्थव्यवस्था चरमरा रही है। सरकार की टैक्स आमदनी कम हो रही है और वो घाटे की भरपाई के लिए अब भारत पेट्रोलियम जैसी बड़ी कंपनियां बेच रही है। वीडियो देखिये
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