प्रति व्यक्ति बिजली खपत की वृद्धि दर 10 साल के सबसे निचले स्तर पर

by GoNews Desk 4 years ago Views 2056

Per capita electricity consumption growth rate at
आर्थिक मंदी और मांग में कमी के कारण देश में बिजली की खपत लगतार काम होती जा रही है. बिजलीघर अपनी उत्पादन क्षमता के आधे से भी कम पर काम कर रहें हैं और कुछ बिजलीघरों ने उत्पादन बंद करने का फैसला किया है. 

सितम्बर के महीने में देश में बिजली पैदा करने की कुल क्षमता 300064 मेगावाट थी जबकि कुल मांग 100074 मेगावाट थी यानि आधे से भी कम। 13 नवम्बर को जारी केंद्रीय बजली प्राधिकरण की रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल से अब तक कुल 84 हज़ार करोड़ यूनिट बिजली बनाई गई लेकिन मांग सिर्फ 79 हज़ार करोड़ यूनिट की निकली यानी 5 फीसदी कम है।


हाल में जारी औद्योगिक विकास के आंकड़ों से इस्सकी पुष्टि होती है जिनमे बिजली उत्पादन ढाई फीसदी कम हुआ है। अप्रैल से अबतक कुल विकास 3.8 फीसदी रहा है।

सरकार के तमाम दावों के बावजूद सच्चाई यह है कि बिजली उत्पादन में विकास की दर इस समय 6 साल के निचले स्तर पर है जिसमें 2014 से लगातार गिरावट आ रही है।

इस्सके सीधे परिणाम में देखा जा सकता है की देश में प्रति व्यक्ति बिजली खपत की वृद्धि दर इस समय 10 साल के सबसे निचले स्तर पर चल रही है।

साफ़ है कि एक ओर जहाँ सरकार ने सौर ऊर्जा और वायु ऊर्जा को प्राइवेट सेक्टर में बढ़ावा देने पर ज़ोर लगा रखा है वहीं अर्थव्यवस्था के धीरे चलने से मांग कम होती जा रही है। महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के छोटे  बिजलीघर बंद होने के कगार पर हैं और सरकारी आंकड़ों के अनुसार 100 से ज़्यादा ने बिजली उत्पादन बंद कर दिया है। सर्दी के महीनों में उत्तरी भारत में बिजली की खपत बढ़ती है और देखना ये है कि बिजली की खपत के साथ साथ अर्थव्यवस्था भी बढ़ती है या नहीं।

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