मर्सिडीज से भी महंगा ट्रैक्टर लोन, फिर भी लॉकडाउन में रिकॉर्ड तोड़ सेल
कोरोना काल में जहां एक तरफ गाड़ियां खरीदने से लोग बच रहे हैं वहीं ट्रैक्टरों की बिक्री में रिकॉर्ड उछाल आया है। महामारी और तालाबंदी के बीच जून महीने में ट्रैक्टर की बिक्री 52 फीसदी बढ़ी है और ट्रैक्टर का उत्पादन भी अपने 20 महीने के उच्चतम स्तर पर है। ये स्थिति देश में तब है जब देश में ट्रैक्टर पर मिलने वाला क़र्ज़ मर्सिडीज गाड़ी पर मिलने वाले क़र्ज़ से भी महंगा है।
ट्रैक्टर एंड मैकेनाइजेशन के आंकड़ों के मुताबिक़ साल की पहली तिमाही यानि अप्रैल से जून में कुल एक लाख 75 हज़ार 964 ट्रेक्टर की बिक्री हुई। इनमें अकेले जून महीने में 98 हज़ार 648 ट्रैक्टर की बिक्री हुई, मई में 64 हज़ार 860 और अप्रैल में 12 हज़ार 456 ट्रैक्टर की बिक्री हुई।
बात करें अगर निर्यात की तो जून में 5,760, मई में 4,419 और अप्रैल में 629 टैक्टर एक्सपोर्ट किए गए। इसका सीधा मतलब है कि इस अवधि में देश के घरेलू बाज़ार में एक लाख 65 हज़ार 156 ट्रैक्टर्स की बिक्री हुई, जोकि पिछले साल के मुकाबले 16 फीसदी ज्यादा है। जबकि ग्रीन रिवॉल्यूशन से पहले साल 1961-62 में के बीच देशभर में 880 ट्रैक्टर का उत्पादन हुआ था, जो साल 2018-19 में बढ़कर नौ लाख के करीब पहुंच गया। इसके साथ ही भारत को दुनिया में सबसे बड़ा ट्रैक्टकर उत्पादक देश भी माना जाता है। वहीं इस अवधि में भारत ने 92,000 ट्रैक्टर अफ्रीकन और एएसईएन देशों को एक्सपोर्ट भी किए। इनमें सस्ते ट्रैक्टर बनाने की वजह से महिन्द्रा एंड महिन्द्रा टॉप पर है, जिसका 40 फीसदी मार्केट शेयर पर क़ब्ज़ा है। जानकारों का मनना है अच्छे मॉनसून की वजह से ट्रैक्टर की बिक्री में उछाल देखने को मिल रहा है। साथ ही रबी फसल की रिकॉर्ड उत्पादन और खरीफ फसल की ज़्यादा बुवाई रिकॉर्ड बिक्री की वजह में शामिल है। अगर ट्रैक्टर की बिक्री इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो साल के आख़िर तक इंडस्ट्रियल ग्रोथ पांच फीसदी तक बढ़ने की उम्मीद है। ज़ाहिर है ट्रैक्टरों की बढ़ी मांग से ट्रेक्टर बनाने वाली कंपनियों को भी फ़ायदा हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक सोनालिका ट्रैक्टर की बिक्री में सबसे ज़्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। अकेले जून महीने में सोनालिका ट्रैक्टर की बिक्री 47.8 फीसदी तक बढ़ी है जबकि महिन्द्रा एंड महिन्द्रा ने भी ट्रैक्टर की बिक्री में दस फीसदी की बढ़त दर्ज की है। लेकिन इस ट्रेक्टर बिक्री के बढ़े ग्राफ के पीछे एक और पहलु भी है। बता दें, देश में ट्रेक्टर खरीदना लग़्ज़री कार मर्सिडीज-बेंज़ की कार खरीदने से भी महंगा है। दरअसल, देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट ऑफ़ इंडिया जहां मर्सिडीज खरीदने के लिए 8 फीसदी पर क़र्ज़ देता है, वहीं ट्रेक्टर खरीदने के लिए किसान को 11 फीसदी ब्याज़ पर क़र्ज़ देता है। आप अंदाज़ा लगा सकतें है कि अगर सरकार इस सेक्टर पर ध्यान दे और कम ब्याज पर किसानों को ट्रैक्टर के लिए क़र्ज़ मुहैया कराए तो ना सिर्फ कृषि उत्पादन बढ़ सकता है बल्कि ऑटो सेक्टर को भी बल मिल सकता है।
बात करें अगर निर्यात की तो जून में 5,760, मई में 4,419 और अप्रैल में 629 टैक्टर एक्सपोर्ट किए गए। इसका सीधा मतलब है कि इस अवधि में देश के घरेलू बाज़ार में एक लाख 65 हज़ार 156 ट्रैक्टर्स की बिक्री हुई, जोकि पिछले साल के मुकाबले 16 फीसदी ज्यादा है। जबकि ग्रीन रिवॉल्यूशन से पहले साल 1961-62 में के बीच देशभर में 880 ट्रैक्टर का उत्पादन हुआ था, जो साल 2018-19 में बढ़कर नौ लाख के करीब पहुंच गया। इसके साथ ही भारत को दुनिया में सबसे बड़ा ट्रैक्टकर उत्पादक देश भी माना जाता है। वहीं इस अवधि में भारत ने 92,000 ट्रैक्टर अफ्रीकन और एएसईएन देशों को एक्सपोर्ट भी किए। इनमें सस्ते ट्रैक्टर बनाने की वजह से महिन्द्रा एंड महिन्द्रा टॉप पर है, जिसका 40 फीसदी मार्केट शेयर पर क़ब्ज़ा है। जानकारों का मनना है अच्छे मॉनसून की वजह से ट्रैक्टर की बिक्री में उछाल देखने को मिल रहा है। साथ ही रबी फसल की रिकॉर्ड उत्पादन और खरीफ फसल की ज़्यादा बुवाई रिकॉर्ड बिक्री की वजह में शामिल है। अगर ट्रैक्टर की बिक्री इसी रफ्तार से बढ़ती रही तो साल के आख़िर तक इंडस्ट्रियल ग्रोथ पांच फीसदी तक बढ़ने की उम्मीद है। ज़ाहिर है ट्रैक्टरों की बढ़ी मांग से ट्रेक्टर बनाने वाली कंपनियों को भी फ़ायदा हो रहा है। आंकड़ों के मुताबिक सोनालिका ट्रैक्टर की बिक्री में सबसे ज़्यादा बढ़ोत्तरी हुई है। अकेले जून महीने में सोनालिका ट्रैक्टर की बिक्री 47.8 फीसदी तक बढ़ी है जबकि महिन्द्रा एंड महिन्द्रा ने भी ट्रैक्टर की बिक्री में दस फीसदी की बढ़त दर्ज की है। लेकिन इस ट्रेक्टर बिक्री के बढ़े ग्राफ के पीछे एक और पहलु भी है। बता दें, देश में ट्रेक्टर खरीदना लग़्ज़री कार मर्सिडीज-बेंज़ की कार खरीदने से भी महंगा है। दरअसल, देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट ऑफ़ इंडिया जहां मर्सिडीज खरीदने के लिए 8 फीसदी पर क़र्ज़ देता है, वहीं ट्रेक्टर खरीदने के लिए किसान को 11 फीसदी ब्याज़ पर क़र्ज़ देता है। आप अंदाज़ा लगा सकतें है कि अगर सरकार इस सेक्टर पर ध्यान दे और कम ब्याज पर किसानों को ट्रैक्टर के लिए क़र्ज़ मुहैया कराए तो ना सिर्फ कृषि उत्पादन बढ़ सकता है बल्कि ऑटो सेक्टर को भी बल मिल सकता है।
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