देश के गॉवों में अस्वस्थ होती स्वास्थ्य सेवाएं

by Abhishek Kaushik 4 years ago Views 110814

Health system deteriorating in the country: Govern
देश के गांव में स्वास्थ्य सेवाएं कितनी अस्वस्थ है इसकी एक झलक पेश करते है ताज़ा सरकारी आंकड़े। हालिया जारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है की कैसे ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र डॉक्टरों की ज़बरदस्त कमी से झूझ रहे है। देखे ये ख़ास रिपोर्ट।


देश में हेल्थ सिस्टम की तबियत बिगड़ती जा रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ताज़ा जारी आंकड़े बताते है की देश में कुल 5 हज़ार 335 ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थय केंद्र है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तहसील स्तर (लेवल) पर बनाए जाते है और ऐसे एक केंद्र से लगभग 80 हज़ार से 1 लाख 20 हज़ार की आबादी को स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ मिलता है।


केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के ये रिपोर्ट बताती है की ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थय केंद्र में डॉक्टरों की कमी के चलते लोग मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने से कतराते है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थय केंद्रों में कुल मिलाकर 21,340 डॉक्टरों की ज़रूरत थी, लेकिन सिर्फ़ 3 हज़ार 881 ही डॉक्टर इन केंद्रों में कार्यरत थे। यानि 17 हज़ार 459 डॉक्टरों की जगह अभी भी ख़ाली है। अंदाज़ा लगाना मुश्किल नहीं की ज़मीनी हालात कितने ख़राब है।

अगर राज्यवार देखे तो सबसे बुरी हालत उत्तर प्रदेश में है जहा सिर्फ 484 डॉक्टर्स सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रो में तैनात है और 2 हज़ार 232 डॉक्टरों की कमी है। इसके बाद नंबर आता है पश्चिम बंगाल का जहा महज़ 71 डॉक्टर मौजूद है और 1321 डॉक्टरों की कमी है। मौजूदा लिस्ट राजस्थान में भी केवल 455 डॉक्टर दिखाती है और यहाँ भी 1 हज़ार 829 डॉक्टरों के पद खाली है। दक्षिणी राज्य तमिल नाडु में सिर्फ़ 179 डॉक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी सेवाएं दे रहे है। इसका मतलब यहाँ भी 1 हज़ार 361 डॉक्टरों की अतिरिक्त ज़रूरत है। गुजरात मॉडल की अक्सर चर्चा होती है। यहाँ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में भी महज़ 118 डॉक्टर मौजूद है और 1 हज़ार 448 डॉक्टरों की कमी है। मध्य प्रदेश में ऐसे सेंटरों में महज़ 104 डॉक्टर मौजूद है जबकि 1 हज़ार 236 जगह पद खाली है।

पिछड़ा राज्य ओडिशा में भी सिर्फ़ 236 डॉक्टर कार्यरत है। यहाँ भी 1 हज़ार 272 डॉक्टरों की कमी के साथ ही सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चल रहे है।

महाराष्ट्र में महज़ 485 डॉक्टर मौजूद है, यानी 971 डॉक्टरों की कमी और केरल में 35 डॉक्टर मौजूद है यानि 873 डॉक्टरों की कमी है।

कर्नाटक थोड़ी बेहतर स्तिथि में है जहा 465 डॉक्टर मौजूद है और 327 डॉक्टरों की कमी है।

लगभग 95 फीसदी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ग्रामीण इलाको में है, ऐसे में बिना डॉक्टरों के इन केंद्रों से किसका और कितना फ़ायदा होता है, कहना मुश्किल है।

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