LIC में हिस्सेदारी बेचने के ख़िलाफ देशव्यापी प्रदर्शन, दफ़्तरों में कामकाज ठप
भारतीय जीवन बीमा निगम में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के फ़ैसले के ख़िलाफ़ देशव्यापी प्रदर्शन शुरू हो गया है. अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संगठन की अपील पर बीमा कर्मचारियों ने अपने दफ़्तरों में कामकाज ठप कर दिया और सरकार से यह फैसला रद्द करने की मांग की है.
भारतीय जीवन बीमा निगम में सरकार की हिस्सेदारी बेचने के ऐलान करने के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. सरकार के इस फ़ैसले पर नाख़ुशी ज़ाहिर करते हुए एलआईसी के कर्मचारियों ने अपने दफ़्तरों में कामकाज ठप कर दिया. अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संगठन ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की दूसरी कंपनियों के लिए जब भी पैसे की ज़रूरत पड़ती है तो एलआईसी आख़िरी मदद के रूप में आगे आती है. केंद्र सरकार का यह फैसला देश की जनता के खिलाफ है क्योंकि एलआईसी की तरक्की बीमा धारकों और एजेंटों की भरोसे और समर्पण का विशुद्ध नतीजा है.
एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी बेचने का ऐलान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान किया था. अभी तक यह साफ नहीं है कि सरकार एलआईसी की कितनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है लेकिन बीमा कर्मचारी संगठन इस फैसले के ख़िलाफ़ खड़े हो गए हैं. महाराष्ट्र, कर्नाटक से लेकर उत्तर पूर्व के राज्य त्रिपुरा तक में बीमा कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि देश के निर्माण में एलआईसी का योगदान अहम रहा है और सरकार को अपना फैसला रद्द करना चाहिए. वीडियो देखिये अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संगठन ने चेतावनी जारी की है कि एलआईसी में सरकारी हिस्सेदारी में किसी भी तरह की छेड़छाड़ से बीमाधारकों का भरोसा इस कंपनी से हिल जाएगा. 60 साल पुरानी इस कंपनी का सफ़र 5 करोड़ रुपए के कैपिटल बेस के साथ शुरु हुआ था जिसका अब इंश्योरेंस मार्केट में 70 फ़ीसदी से ज़्यादा पर क़ब्ज़ा है. बीमा कर्मचारी संगठन की आशंका है कि 50 फ़ीसदी से ज़्यादा की हिस्सेदारी बिकने से सार्वजनिक उपक्रम का रुतबा एलआईसी से छिन जाएगा. वहीं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि अगर एलआईसी बेचकर सरकार का मक़सद पैसा जुटाना है और इसलिए एलआईसी का विनिवेश किया जा रहा है तो यह एक बुरी वजह है.
एलआईसी में सरकार की हिस्सेदारी बेचने का ऐलान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण के दौरान किया था. अभी तक यह साफ नहीं है कि सरकार एलआईसी की कितनी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी कर रही है लेकिन बीमा कर्मचारी संगठन इस फैसले के ख़िलाफ़ खड़े हो गए हैं. महाराष्ट्र, कर्नाटक से लेकर उत्तर पूर्व के राज्य त्रिपुरा तक में बीमा कर्मचारी सड़कों पर उतर आए हैं. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि देश के निर्माण में एलआईसी का योगदान अहम रहा है और सरकार को अपना फैसला रद्द करना चाहिए. वीडियो देखिये अखिल भारतीय बीमा कर्मचारी संगठन ने चेतावनी जारी की है कि एलआईसी में सरकारी हिस्सेदारी में किसी भी तरह की छेड़छाड़ से बीमाधारकों का भरोसा इस कंपनी से हिल जाएगा. 60 साल पुरानी इस कंपनी का सफ़र 5 करोड़ रुपए के कैपिटल बेस के साथ शुरु हुआ था जिसका अब इंश्योरेंस मार्केट में 70 फ़ीसदी से ज़्यादा पर क़ब्ज़ा है. बीमा कर्मचारी संगठन की आशंका है कि 50 फ़ीसदी से ज़्यादा की हिस्सेदारी बिकने से सार्वजनिक उपक्रम का रुतबा एलआईसी से छिन जाएगा. वहीं पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कहा है कि अगर एलआईसी बेचकर सरकार का मक़सद पैसा जुटाना है और इसलिए एलआईसी का विनिवेश किया जा रहा है तो यह एक बुरी वजह है.
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