सियाचीन में तैनात सैनिकों की ख़ुराक़ और कपड़े मुहैया करवाने में लापरवाही - सीएजी
सियाचीन जैसे अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाक़ों में तैनात भारतीय जवानों को ख़ुराक़ और कपड़े मुहैया करवाने में लापरवाही की जा रही है. ऐसा देश के महालेखा परीक्षक यानी सीएजी की रिपोर्ट में दावा किया गया है. संसद में यह रिपोर्ट पेश होने के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है.
देश के महालेखा परीक्षक यानी सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि सियाचीन लद्दाख और डोकलाम बॉर्डर पर तैनात भारतीय सैनिकों के पास खाना और ठंड से बचने के विशेष कपड़ों की भारी कमी है.
संसद में रखी गई रिपोर्ट के मुताबिक सैनिकों के लिए बुनियादी ज़रुरतों के सामानों के रिज़र्व में 24-100 फीसदी तक की कमी है जिनमें कपड़े, जूते, बर्फ में लगाए जाने वाले चश्मे और खाना वग़ैरह शामिल हैं। सैनिकों को माइनस 55 डिग्री तापमान वाले इलाक़ों में विशेष तरह के जूतों की ज़रूरत होती है लेकिन कैग के मुताबिक सैनिकों को नवंबर 2015 से सितंबर 2016 के दौरान मल्टी पर्पज़ बूट नहीं मुहैया करवाए जा सके. इसकी वजह से सैनिकों को चार साल पुराने जूतों को दुरुस्त करके काम चलाना पड़ा. इसी प्रकार बर्फीले इलाकों में पहने जाने वाले चश्मे का स्टॉक 5.6 से लेकर 16.1 फीसदी तक ही था यानी कि तक़रीबन 94 फ़ीसदी की कमी. 9000 फीट की उंचाई पर तैनात सैनिकों की भूख मिटाने के लिए विशेष खाना दिया जाता है लेकिन सरकार इस मोर्चे पर भी फेल रही. सैनिकों को डेली एनर्जी के लिए दी जाने वाली ख़ुराक में 48 से 82 तक कम कैलरी वाला खाना दिया जा रहा है. कैग की रिपोर्ट के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार को घेरा है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि , “सेना के नाम पर वोट खूब बटोरेंगे, पर जवानों की ज़रूरतों से मुंह मोड़ेंगे।”
संसद में रखी गई रिपोर्ट के मुताबिक सैनिकों के लिए बुनियादी ज़रुरतों के सामानों के रिज़र्व में 24-100 फीसदी तक की कमी है जिनमें कपड़े, जूते, बर्फ में लगाए जाने वाले चश्मे और खाना वग़ैरह शामिल हैं। सैनिकों को माइनस 55 डिग्री तापमान वाले इलाक़ों में विशेष तरह के जूतों की ज़रूरत होती है लेकिन कैग के मुताबिक सैनिकों को नवंबर 2015 से सितंबर 2016 के दौरान मल्टी पर्पज़ बूट नहीं मुहैया करवाए जा सके. इसकी वजह से सैनिकों को चार साल पुराने जूतों को दुरुस्त करके काम चलाना पड़ा. इसी प्रकार बर्फीले इलाकों में पहने जाने वाले चश्मे का स्टॉक 5.6 से लेकर 16.1 फीसदी तक ही था यानी कि तक़रीबन 94 फ़ीसदी की कमी. 9000 फीट की उंचाई पर तैनात सैनिकों की भूख मिटाने के लिए विशेष खाना दिया जाता है लेकिन सरकार इस मोर्चे पर भी फेल रही. सैनिकों को डेली एनर्जी के लिए दी जाने वाली ख़ुराक में 48 से 82 तक कम कैलरी वाला खाना दिया जा रहा है. कैग की रिपोर्ट के बाद विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार को घेरा है. कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि , “सेना के नाम पर वोट खूब बटोरेंगे, पर जवानों की ज़रूरतों से मुंह मोड़ेंगे।”
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