बाघजन ऑयलफील्ड में फिर धमाका, तीन विदेशी विशेषज्ञ ज़ख़्मी
असम के तिनसुकिया ज़िले के बाघजन ऑयल फील्ड में तेल के एक कुएं में ज़ोरदार धमाका हुआ है. इस हादसे में तीन विदेशी विशेषज्ञ ज़ख़्मी हो गए जिन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया है. ऑयल इंडिया लिमिटेड के प्रवक्ता त्रिदीप हज़ारिका ने कहा कि धमाका उस वक़्त हुआ जब पहले से लगी आग बुझाने का काम चल रहा था.
ऑयल इंडिया लिमिटेड के तेल के कुएं में रिसाव 27 मई को शुरू हुआ था और नौ जून को आग भड़क उठी थी. मगर 56 दिन गुज़र जाने के बाद भी इसे शांत नहीं किया जा सका. अब तक आग बुझाने के अभियान में दो फायर फाइटर्स की मौत हो चुकी है और अब विदेशी विशेषज्ञ भी ज़ख़्मी हो गए हैं.
यहां नौ जून को आग भड़कने के बाद सिंगापुर समेत कुछ देशों से विदेशी विशेषज्ञ बुलाए गए थे. कहा जा रहा था कि यह अभियान 7 जुलाई तक ख़त्म हो जाएगा लेकिन भारी बारिश और बाढ़ के चलते इसे रोकना पड़ा. बाढ़ की वजह से ऑयलफील्ड के आसपास की सड़कें और पुल टूट गए जिससे आग बुझाने का काम रुक गया. बाघजन ऑयल फील्ड में कुल तेल के 17 और गैस के पांच कुएं हैं. यह मागुरी-मोटापुंग वेटलैंड और डिबरू सौखोवा रिज़र्व के बीच में है. इस इलाक़े में सैकड़ों लुप्तप्राय जीव जंतुओं का पर्यावास है लेकिन आग लगने से इस इलाक़े में भीषण नुकसान हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक आग लगने से तिनसुकिया और डुमडुमा सर्किल के नौ हज़ार लोग विस्थापित हुए हैं. पिछले महीने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आठ सदस्यों वाली एक कमिटी गठित कर आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए कहा था. कमिटी यह भी जानने की कोशिश करेगी कि इससे इंसानी ज़िंदगी, जीव जंतुओं और पर्यावरण को कितना नुकसान हुआ है.
यहां नौ जून को आग भड़कने के बाद सिंगापुर समेत कुछ देशों से विदेशी विशेषज्ञ बुलाए गए थे. कहा जा रहा था कि यह अभियान 7 जुलाई तक ख़त्म हो जाएगा लेकिन भारी बारिश और बाढ़ के चलते इसे रोकना पड़ा. बाढ़ की वजह से ऑयलफील्ड के आसपास की सड़कें और पुल टूट गए जिससे आग बुझाने का काम रुक गया. बाघजन ऑयल फील्ड में कुल तेल के 17 और गैस के पांच कुएं हैं. यह मागुरी-मोटापुंग वेटलैंड और डिबरू सौखोवा रिज़र्व के बीच में है. इस इलाक़े में सैकड़ों लुप्तप्राय जीव जंतुओं का पर्यावास है लेकिन आग लगने से इस इलाक़े में भीषण नुकसान हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक आग लगने से तिनसुकिया और डुमडुमा सर्किल के नौ हज़ार लोग विस्थापित हुए हैं. पिछले महीने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने आठ सदस्यों वाली एक कमिटी गठित कर आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए कहा था. कमिटी यह भी जानने की कोशिश करेगी कि इससे इंसानी ज़िंदगी, जीव जंतुओं और पर्यावरण को कितना नुकसान हुआ है.
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