कश्मीरी पंडितों के पलायन की ज़िम्मेदारी जगमोहन की, जांच होनी चाहिए: फारूक़ अब्दुल्लाह
जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन की जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज को जांच करना चाहिए कि नब्बे के दशक की शुरुआत में घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन का ज़िम्मेदार कौन था. फारूक़ अब्दुल्लाह ने कहा कि घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन जिम्मेदार थे, जो तीन महीने में वापसी का झूठा वादा कर उन्हें घाटी से बाहर ले गए थे.
फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड, मेहनती और ईमानदार जज या जजों की बेंच को इस मामले की जांच करने दें और रिपोर्ट आने दीजिए. इससे युवा कश्मीरी पंडितों की बहुत-सी आशंकाएं दूर हो जाएंगी और पता चलेगा कि उन्हें कश्मीरी मुसलमानों ने बाहर नहीं निकाला था. अब भी कई कश्मीरी पंडित हैं जिन्होंने कभी घाटी नहीं छोड़ी और अब भी वहां रह रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन जिम्मेदार थे, जो तीन महीने में वापसी का झूठा वादा कर उन्हें घाटी से बाहर लेकर गए थे.
ये भी पढ़ें- GoFlashback: जब रातों-रात घाटी से निकाल दिये गए कश्मीरी पंडित पूर्व सीएम फ़ारूक़ अब्दुल्लाह ने कहा कि जब तक कश्मीरी पंडित वापस आकर हमारे साथ शांति से नहीं रहेंगे, तब तक कश्मीर पूरा नहीं होगा. ’उन्होंने इस दौरान अपने पिता और जम्मू-कश्मीर के दूसरे प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्लाह का ज़िक्र करते हुए कहा कि उनके पिता शेख अब्दुल्लाह ने कभी भी दो राष्ट्र के सिद्धांत को स्वीकार नहीं किया. उनके पिता कभी नहीं मानते थे कि मुस्लिम, हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध और अन्य धर्म अलग हैं और उन्होंने सभी को आदम और हौआ की संतान माना है. उन्होंने इस दौरान कई घटनाओं का ज़िक्र भी किया जिसमें 1947 से अबतक कश्मीरी पंडितों के लिए मुसलमान खड़े रहे हैं. फारूख अब्दुल्ला ने कहा कि सभी की जरूरतें एक हैं और उन्होंने एकता के लिए काम किया है. वह आखिरी दम तक तक उस रास्ते पर कायम रहेंगे और सभी को एकजुट करने के लिए काम करते रहेंगे. फारूक़ अब्दुल्लाह ने यह बातें एक वेबिनार में कहीं जो जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा ख़त्म किए जाने के एक साल पूरा होने पर आयोजित किया गया था.
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