कमर्शल माइनिंग के खिलाफ हड़ताल करने पर लाखों कोयला मज़दूरों की तनख्वाह कटी
केंद्र सरकार ने कमर्शल माइनिंग के लिए कोयला सेक्टर के दरवाज़े निजी कंपनियों के लिए भी पूरी तरह खोल दिए हैं लेकिन श्रमिक संगठनों ने इस फैसले को मज़दूर विरोधी क़रार देते हुए हड़ताल शुरू कर दी है. हड़ताल के पहले दौर में पांच लाख कोयला श्रमिकों ने पिछले हफ़्ते तीन दिन की हड़ताल की जिन्हें एटक, सीटू, एक्टू, इंटक, बीएमएस और एचएमएस का समर्थन हासिल था.
मज़दूर संगठनों की मांग है कि केंद्र सरकार निजी कंपनियों के लिए कमर्शल खनन का फैसला वापस ले. इसके अलावा कोयला उद्योग के निजीकरण को रोकना, ठेका मजदूरों के लिए वाजिब मज़दूरी और राष्ट्रीय कोयला वेतन समझौता को पूरी तरह लागू करने जैसी मांग शामिल है।
वहीँ अधिकारियों का कहना है कि तीन दिन की हड़ताल के दौरान लगभग 400 करोड़ रुपये का राजस्व में नुकसान हुआ और कोयला उत्पादन में औसतन प्रतिदिन 56 प्रतिशत की कमी आयी। कोल इंडिया हर दिन औसतन 13 लाख टन कोयला उत्पादन करता है जिसके बाद कोल इंडिया (सीआईएल) की अनुषंगी महानदी कोलफील्ड्स लि. (एमसीएल) ने जुलाई 2 से 5 तक हड़ताल पर गए अपने कर्मचारियों का आठ दिन का वेतन काटने की घोषणा की है। महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक बी.एन. शुक्ला केंद्र सरकार के फैसले के पक्षधर हैं और उन्होंने कोयला क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश को समय की जरूरत बताया। एमसीएल का कहना है कि ये हड़ताल ग़ैरक़ानूनी थी जिसमें कम्पनी के 20,000 श्रमिकों में से ज़्यादातर काम पर नहीं आए। तीन जुलाई को जारी नोटिस में कहा गया है कि कर्मचारियों की अनुशासनहीता की वजह से वेतन संहिता कानून, 2019 के तहत उनका आठ दिन का वेतन काटने का आदेश दिया जा रहा है। ये दूसरा मौक़ा है जब श्रमिकों का वेतन हड़ताल की वजह से काटा जा रहा है। इससे पहले 2010 में भी इसी तरह का आदेश जारी किया गया था। उस समय कर्मचारियों का एक वर्ग एक दिन ही हड़ताल पर गया था। अब यूनियनों ने 18 अगस्त को अगली हड़ताल की तारीख़ रखी है, जो कमर्शल कोयला खनन के लिए बोलियां लगाने का अंतिम दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 18 जून को 41 कोयला ब्लॉक के कमर्शल माइनिंग को लेकर नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत की थी. इसके खिलाफ झारखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है और उसने नीलामी में राज्य सरकार को विश्वास में लेने की जरूरत बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है. वही छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य क्षेत्र के नौ सरपंचों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर खनन नीलामी पर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने पत्र में लिखा कि समुदाय पूर्णतया जंगल पर आश्रित है, जिसके विनाश से यहां के लोगों का पूरा अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. इधर, कोल इंडिया ने मजदूरों से हड़ताल पर नहीं जाने की अपील की थी। एक ट्वीट में कोल इंडिया ने कहा है, बेफिक्र रहें वाणिज्यिक कोयला खनन से कोल इंडिया के लिए कोई चिंताजनक बात नहीं.
वहीँ अधिकारियों का कहना है कि तीन दिन की हड़ताल के दौरान लगभग 400 करोड़ रुपये का राजस्व में नुकसान हुआ और कोयला उत्पादन में औसतन प्रतिदिन 56 प्रतिशत की कमी आयी। कोल इंडिया हर दिन औसतन 13 लाख टन कोयला उत्पादन करता है जिसके बाद कोल इंडिया (सीआईएल) की अनुषंगी महानदी कोलफील्ड्स लि. (एमसीएल) ने जुलाई 2 से 5 तक हड़ताल पर गए अपने कर्मचारियों का आठ दिन का वेतन काटने की घोषणा की है। महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक बी.एन. शुक्ला केंद्र सरकार के फैसले के पक्षधर हैं और उन्होंने कोयला क्षेत्र में निजी कंपनियों के प्रवेश को समय की जरूरत बताया। एमसीएल का कहना है कि ये हड़ताल ग़ैरक़ानूनी थी जिसमें कम्पनी के 20,000 श्रमिकों में से ज़्यादातर काम पर नहीं आए। तीन जुलाई को जारी नोटिस में कहा गया है कि कर्मचारियों की अनुशासनहीता की वजह से वेतन संहिता कानून, 2019 के तहत उनका आठ दिन का वेतन काटने का आदेश दिया जा रहा है। ये दूसरा मौक़ा है जब श्रमिकों का वेतन हड़ताल की वजह से काटा जा रहा है। इससे पहले 2010 में भी इसी तरह का आदेश जारी किया गया था। उस समय कर्मचारियों का एक वर्ग एक दिन ही हड़ताल पर गया था। अब यूनियनों ने 18 अगस्त को अगली हड़ताल की तारीख़ रखी है, जो कमर्शल कोयला खनन के लिए बोलियां लगाने का अंतिम दिन है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 18 जून को 41 कोयला ब्लॉक के कमर्शल माइनिंग को लेकर नीलामी प्रक्रिया की शुरुआत की थी. इसके खिलाफ झारखंड सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है और उसने नीलामी में राज्य सरकार को विश्वास में लेने की जरूरत बताते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की है. वही छत्तीसगढ़ में हसदेव अरण्य क्षेत्र के नौ सरपंचों ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर खनन नीलामी पर गहरी चिंता जाहिर की है। उन्होंने पत्र में लिखा कि समुदाय पूर्णतया जंगल पर आश्रित है, जिसके विनाश से यहां के लोगों का पूरा अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा. इधर, कोल इंडिया ने मजदूरों से हड़ताल पर नहीं जाने की अपील की थी। एक ट्वीट में कोल इंडिया ने कहा है, बेफिक्र रहें वाणिज्यिक कोयला खनन से कोल इंडिया के लिए कोई चिंताजनक बात नहीं.
आश्वस्त रहे ... कोल इंडिया के लिए कोई चिन्ताजनक बात नहीं l pic.twitter.com/CyHVJOqij6
— Coal India Limited (@CoalIndiaHQ) July 2, 2020
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