रेलवे की 800 हेक्टेयर से ज़्यादा ज़मीनों पर अवैध क़ब्ज़ा
देश में सबसे ज़्यादा ज़मीन भारतीय रेलवे के पास है लेकिन बड़े पैमाने पर इसका अतिक्रमण हो गया है। लोकसभा में जारी हुए ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक रेलवे की 800 हेक्टेयर से ज़्यादा की ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा हो गया है। रेलवे के पास कुल 4,78000 हज़ार हेक्टेयर ज़मीन है।
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा में बताया कि 31 मार्च 2019 तक रेलवे के पास कुल 4,78000 हेक्टेयर ज़मीन थी, जिसमें से 821.46 हेक्टेयर ज़मीन पर अवैध कब्ज़ा है।
इस कब्ज़े को अगर ज़ोनवार तरीके से देखें तो सेंट्रल ज़ोन की 56.10 हेक्टेयर, ईस्टर्न ज़ोन की 20.52 हेक्टेयर, ईस्ट सेंट्रल ज़ोन की 1.71 हेक्टेयर, ईस्ट कोस्ट की 13.95 हेक्टेयर, नॉर्दर्न ज़ोन की 183.10 हेक्टेयर, नॉर्थ सेंट्रल की 41.49 हेक्टेयर, नॉर्थ ईस्टर्न की 25.38 हेक्टेयर, नॉर्थईस्ट फ्रंटियर की 95.00 हेक्टेयर, नॉर्थ वेस्टर्न की 18.38 हेक्टेयर, साउदर्न ज़ोन की 55.42 हेक्टेयर, साउथ सेंट्रल ज़ोन की 16.43 हेक्टेयर, साउथ ईस्टर्न की 141.75 हेक्टेयर, साउथ ईस्ट सेंट्रल की 43.57 हेक्टेयर, साउथ वेस्टर्न की 16.26 हेक्टेयर, वेस्टर्न ज़ोन की 51.94 हेक्टेयर, वेस्ट सेंट्रल की 34.73 हेक्टेयर और प्रोडक्शन इकाइयों की 5.74 हेक्टेयर ज़मीन पर लोगों का अवैध कब्ज़ा है। पीयूष गोयल ने ये भी बताया कि 2016 से 2018 के दौरान मंत्रालय के अपने प्रयासों से 58.01 हेक्टेयर ज़मीन कब्ज़े से छुड़ाया जा चुका है। इसके लिये लगातार कोशिशें जारी हैं लेकिन जब भी रेलवे अवैध कब्ज़ा हटवाने जाता है तो लोग अदालत पहुंच जाते हैं।
इस कब्ज़े को अगर ज़ोनवार तरीके से देखें तो सेंट्रल ज़ोन की 56.10 हेक्टेयर, ईस्टर्न ज़ोन की 20.52 हेक्टेयर, ईस्ट सेंट्रल ज़ोन की 1.71 हेक्टेयर, ईस्ट कोस्ट की 13.95 हेक्टेयर, नॉर्दर्न ज़ोन की 183.10 हेक्टेयर, नॉर्थ सेंट्रल की 41.49 हेक्टेयर, नॉर्थ ईस्टर्न की 25.38 हेक्टेयर, नॉर्थईस्ट फ्रंटियर की 95.00 हेक्टेयर, नॉर्थ वेस्टर्न की 18.38 हेक्टेयर, साउदर्न ज़ोन की 55.42 हेक्टेयर, साउथ सेंट्रल ज़ोन की 16.43 हेक्टेयर, साउथ ईस्टर्न की 141.75 हेक्टेयर, साउथ ईस्ट सेंट्रल की 43.57 हेक्टेयर, साउथ वेस्टर्न की 16.26 हेक्टेयर, वेस्टर्न ज़ोन की 51.94 हेक्टेयर, वेस्ट सेंट्रल की 34.73 हेक्टेयर और प्रोडक्शन इकाइयों की 5.74 हेक्टेयर ज़मीन पर लोगों का अवैध कब्ज़ा है। पीयूष गोयल ने ये भी बताया कि 2016 से 2018 के दौरान मंत्रालय के अपने प्रयासों से 58.01 हेक्टेयर ज़मीन कब्ज़े से छुड़ाया जा चुका है। इसके लिये लगातार कोशिशें जारी हैं लेकिन जब भी रेलवे अवैध कब्ज़ा हटवाने जाता है तो लोग अदालत पहुंच जाते हैं।
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