सरकार को पैसा देने में रिज़र्व बैंक ने की आरबीआई एक्ट की अनदेखी

by Israr Ahmed Sheikh 4 years ago Views 1925

CENTRAL BANK’S PAYOUT TO GOVT BYPASSES RBI ACT
रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने सरकार को अपने रिज़र्व फंड से 1.76 लाख करोड़ रुपये देने का फैसला किया है।आरबीआई के इस फैसले का स्वागत और विरोध दोनों हो रहा है लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि जो फैसला रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स ने लिया है, क्या वो इस प्रकार के फैसले लेने के अधिकृत हैं?

बता दें कि, आरबीआई एक्ट में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है कि रिज़र्व बैंक अपने रिज़र्व में से केंद्र सरकार को पैसा ट्रांसफ़र कर सकें। यानी रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने केंद्र सरकार को रिज़र्व से फंड ट्रांसफर करने का फैसला लेते वक्त आरबीआई एक्ट की अनदेखी की है। सरकार को आरबीआई के रिज़र्व से पैसा निकालने के लिये आरबीआई एक्ट में बदलाव करना पड़ेगा जिसका संसद के दोनों सदनों से पास होना ज़रूरी है।
इसी वजह से आरबीआई के पिछले दो गवर्नर रघुराम राजन, उर्जित पटेल और डिप्यूटी गवर्नर विरल आचार्य ने केंद्र सरकार को आरबीआई के रिज़र्व से पैसा देने से इनकार कर दिया था। जिसका नतीजा ये हुआ कि केंद्र सरकार की खुद की पसंद से गवर्नर बने उर्जित पटेल और डिप्यूटी गवर्नर विरल आचार्य को अपने पदों से इस्तीफ़ा देना पड़ा था।


दरअसल केंद्र सरकार बैंकों की हालत सुधारने और अपने बजट घाटे की भरपाई के लिए रिज़र्व बैंक के रिज़र्व फंड से पैसा मांग रही थी, तब के गवर्नर उर्जित पटेल ने इस मामले में अर्जेंटीना का उदाहरण देते हुए कहा था कि अगर रिज़र्व फंड से केंद्र सरकार को पैसा दिया गया तो उसके परिणाम अर्थव्यवस्था के लिए बेहद ख़तरनाक होंगे।

अधिक जानकारी के लिये वीडियो देखें

 

रिज़र्व बैंक के केंद्र सरकार को ये रक़म देने के मायने

आरबीआई दो तरह के रिज़र्व फंड रखता है, पहला सीजीआरए यानी करेंसी एंड गोल्ड रेवोल्यूशन अकाउंट और दूसरा है सीएफ यानी कंटिंजेंसी फंड। आरबीआई को इस फंड की ज़रूरत खासतौर पर तीन वजहों से होती है। पहला मार्केट इंटरवेंशन ऑपरेशन, दूसरा किसी भी परिस्थिति में रिज़र्व बैंक के ऑपरेशन चलाने और तीसरा फाइनेंशियल सिस्टम को संकट से बचाए रखने के लिए।

साल 2018 के आंकड़ों के मुताबिक रिज़र्व बैंक के पास 232,108 करोड़ रुपये कंटिंजेंसी फंड के तौर पर और 691,641 करोड़ रुपये की करेंसी और गोल्ड रिज़र्व है। कंटिंजेंसी फंड आरबीआई के कुल एसेट्स का 6.4 प्रतिशत और करेंसी और गोल्ड रिज़र्व 25.5 प्रतिशत है।

जालान कमेटी ने कंटिजेंसी फंड को 6.5-5.5 प्रतिशत के बीच रखने और करेंसी और गोल्ड रिज़र्व को 20-24.5 प्रतिशत के बीच रखने की सिफ़ारिश की है। आरबीआई बोर्ड ने जालान कमेटी के न्यूनतम स्तर की सिफारिश मानते हुए 5.5 प्रतिशत कंटिंजेंसी फंड रखने का फ़ैसला किया और बाकी की रकम केंद्र सरकार को ट्रांसफ़र करने का फ़ैसला ले लिया। वो भी तब जब रिज़र्व बैंक का कंटिंजेंसी फंड पिछले दस साल के न्यूनतम स्तर पर है।

साल 2009 में ये फंड आरबीआई के कुल एसेट्स का 10.9 प्रतिशत था जो 2018 में 6.4 प्रतिशत पर आ गया। रिज़र्व बैंक के सरप्लस के मामले में केंद्र की एनडीए सरकार ने पिछले सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं।

पिछले पांच सालों में आरबीआई ने केंद्र सरकार को अपने सरप्लस का लगभग 100 प्रतिशत हिस्सा ट्रांसफ़र किया है जबकि यूपीए-2 के पांच साल के कार्यकाल में इसका औसत लगभग 55 प्रतिशत था लेकिन रिज़र्व से पैसा ट्रांसफ़र करने का ये पहला मामला है।

साल 2014-15 में तैयार किये गए इकॉनोमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के ड्राफ़्ट में कहा जा चुका है कि ये परम्परा रिज़र्व बैंक की ऑटोनोमी के लिए ख़तरा बन जाएगी।

फंड आरबीआई के कुल एसेट्स का

आरबीआई के कुल एसेट्स का फंड 10.9 प्रतिशत था, 2010 में 10.2 प्रतिशत, 2011 में 9.5 प्रतिशत, 2012 में 8.8 प्रतिशत 2013 में 9.3 प्रतिशत, 2014 में 8.4 प्रतिशत, 2015 में 7.7 प्रतिशत, 2016 में 4.8 प्रतिशत, 2017 में 6.9 प्रतिशत और 2018 में 6.4 प्रतिशत पर था।

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