‘गुजराती स्वामी’ पर चोट करने के लिए दिल्ली में माहवारी महाभोज, मनीष सिसौदिया भी पहुंचे
गुजरात के स्वामी नारायण मंदिर से जुड़े स्वामी कृष्णस्वरूप के महिला विरोधी बयान के विरोध में दिल्ली में एक अनोखा प्रोग्राम हुआ है. इस प्रोग्राम में उन महिलाओं ने खाना बनाया जो माहवारी से गुज़र रही थी और जिनकी सफ़ेद एप्रेन पर लिखा था, ‘मैं माहवारी से हूं.’ मक़सद माहवारी को लेकर समाज में जड़ कर चुके अंधविश्वास पर चोट करना था.
पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार इलाक़े में एक ख़ास तरह का महाभोज हुआ है. यहां के सेंट्रल पार्क में दोपहर 12 उन औरतों ने खाना पकाकर लोगों को खिलाया जो माहवारी से गुज़र रही थीं. इस महाभोज में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सीसौदिया भी शामिल हुए और उन्होंने महिलाओं के साथ बैठकर उनके हाथ से बना हुआ खाना खाया.
यह महाभोज गुजरात के स्वामी नारायण मंदिर के स्वामी कृष्णस्वरूप के बेतुके बयान के विरोध में था जिन्होंने कहा था कि माहवारी के दौरान खाना पकाने वाली महिला अगले जन्म में कुतिया के रूप में जन्म लेती है. और उसे खाने वाले पुरुष बैल के रूप में अगला जनम लेते हैं. इस तरह के महिला विरोधी बयानों और मिथकों पर चोट करने के लिए महिला संगठन सच्ची सहेली ने उन्हीं महिलाओं से खाना पकवाया जो मासिक धर्म से गुज़र रही थीं. खाना बनाते वक़्त महिलाओं ने सफ़ेद एप्रन पहने हुए थे जिसपर लिखा था 'मैं माहवारी से हूँ.’ साथ ही महाभोज के इस कार्यक्रम पर अस्मिता ग्रुप ने भी नुक्कड़ नाटक कर महिलाओं का मनोबल बढ़ाया। वीडियो देखिये वामी का बयान महिला विरोधी होने के साथ-साथ माहवारी को लेकर बने मिथकों और अंधविश्वास का ही एक रूप था जिसकी तीखी आलोचना हुई थी. स्वामी कृष्णस्वरुप गुजरात के भुज में एक कॉलेज चलाते हैं, जहां की महिला स्टाफ ने हाल ही में 60 लड़कियों का मासिक धर्म पता करने के लिए उन्हें मजबूर किया था.
पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार इलाक़े में एक ख़ास तरह का महाभोज हुआ है. यहां के सेंट्रल पार्क में दोपहर 12 उन औरतों ने खाना पकाकर लोगों को खिलाया जो माहवारी से गुज़र रही थीं. इस महाभोज में दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सीसौदिया भी शामिल हुए और उन्होंने महिलाओं के साथ बैठकर उनके हाथ से बना हुआ खाना खाया.
यह महाभोज गुजरात के स्वामी नारायण मंदिर के स्वामी कृष्णस्वरूप के बेतुके बयान के विरोध में था जिन्होंने कहा था कि माहवारी के दौरान खाना पकाने वाली महिला अगले जन्म में कुतिया के रूप में जन्म लेती है. और उसे खाने वाले पुरुष बैल के रूप में अगला जनम लेते हैं. इस तरह के महिला विरोधी बयानों और मिथकों पर चोट करने के लिए महिला संगठन सच्ची सहेली ने उन्हीं महिलाओं से खाना पकवाया जो मासिक धर्म से गुज़र रही थीं. खाना बनाते वक़्त महिलाओं ने सफ़ेद एप्रन पहने हुए थे जिसपर लिखा था 'मैं माहवारी से हूँ.’ साथ ही महाभोज के इस कार्यक्रम पर अस्मिता ग्रुप ने भी नुक्कड़ नाटक कर महिलाओं का मनोबल बढ़ाया। वीडियो देखिये वामी का बयान महिला विरोधी होने के साथ-साथ माहवारी को लेकर बने मिथकों और अंधविश्वास का ही एक रूप था जिसकी तीखी आलोचना हुई थी. स्वामी कृष्णस्वरुप गुजरात के भुज में एक कॉलेज चलाते हैं, जहां की महिला स्टाफ ने हाल ही में 60 लड़कियों का मासिक धर्म पता करने के लिए उन्हें मजबूर किया था.
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