सूरत: अपने घर वापस जाना चाहते हैं कपड़ा उद्योग से जुड़े हज़ारों मज़दूर
कपड़ा उद्योग के लिए मशहूर गुजरात के सूरत शहर में कामबंदी के चलते ओडिशा के प्रवासी मज़दूर फंसे हुए हैं। हज़ारों की तादाद में ये मज़दूर सूरत के अलग-अलग कारख़ानों में कढ़ाई और रंगाई का काम करते थे लेकिन कामबंदी में 10 से 15 मज़दूर एक ही कमरे में रहने को मजबूर हैं।
इन मज़दूरों की जमा पूंजी खत्म हो चुकी है और मील मालिक ने लॉकडाउन होने पर 22 से 31 मार्च तक की मज़दूरी भी नहीं दी। लॉकडाउन होने से तमाम बाज़ार भी बंद हैं। मील मालिकों का कहना है कि जब बाज़ार में मांग ही नहीं है तो मीलों में माल बनाकर क्या करेंगे। इन पाबंदियों का असर कपडा उद्योग पर तय माना जा रहा है।
वीडियो देखिए फिलहाल इन मज़दूरों को बदतर हालत में ज़िंदगी गुज़ारनी पड़ रही है। देर रात तक लंबी क़तारें लगाने के बावजूद इन्हें खाना नहीं मिल पाता। सूरत नगर निगम की गाड़ी आते ही लोग भूखे प्यासे गाडी के पीछे भागते हैं। सूरत के कपड़ा मील में काम करने वाले हज़ारों मज़दूर ज्यादातर अलग अलग राज्य से आए हुए थे लेकिन लूम फैक्ट्री मालिकों ने मज़दूरों के लिए दरवाजे बंद कर लिए हैं। इस दौरान ओडिशा और गुजरात के मुख्यमंत्री के बीच मज़दूरों को निकालने के लिए बातचीत हुई है, लेकिन इसके लिए कपड़ा मज़दूरों को कितना लम्बा इंतज़ार करना होगा, यह साफ नहीं है।
वीडियो देखिए फिलहाल इन मज़दूरों को बदतर हालत में ज़िंदगी गुज़ारनी पड़ रही है। देर रात तक लंबी क़तारें लगाने के बावजूद इन्हें खाना नहीं मिल पाता। सूरत नगर निगम की गाड़ी आते ही लोग भूखे प्यासे गाडी के पीछे भागते हैं। सूरत के कपड़ा मील में काम करने वाले हज़ारों मज़दूर ज्यादातर अलग अलग राज्य से आए हुए थे लेकिन लूम फैक्ट्री मालिकों ने मज़दूरों के लिए दरवाजे बंद कर लिए हैं। इस दौरान ओडिशा और गुजरात के मुख्यमंत्री के बीच मज़दूरों को निकालने के लिए बातचीत हुई है, लेकिन इसके लिए कपड़ा मज़दूरों को कितना लम्बा इंतज़ार करना होगा, यह साफ नहीं है।
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