पूर्वोत्तर में सीएबी पर हंगामा, अमेरिकी संस्था ने कहा- गलत दिशा में एक ख़तरनाक मोड़
नागरिकता संशोधन विधेयक के लोकसभा से पास होने के बाद पूर्वोत्तर के रोज्यों में विरोध-प्रदर्शन जोर पकड़ रहा है। बिल के विरोध में असम, त्रिपुरा, मणिपुर समेत कई राज्यों में विरोध-प्रदर्शन और आगजनी की घटना सामने आई है। छात्र-छात्राएं भी सड़कों पर हैं। नॉर्थ-ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गेनाइजेशन ने पूरे असम के लिए बंद का एलान कर दिया है।
नागरिकता संशोधन विधेयक राज्यसभा से पारित होना फिलहाल बाकी है। लोकसभा में इस बिल को 311 वोट पक्ष में पड़ें वहीं केवल 83 वोट ही विपक्ष में पड़े हैं। राज्यसभा से बिल को पास करवाने के लिये 121 वोटों की ज़रूरत है।
राज्यसभा में फिलहाल 240 सदस्य हैं। जिसमें बीजेपी के 83, बीजेडी के 7, एआईएडीएमके के 11 और बीजेपी के सहयोगी दलों के 20 सदस्य जिसमें शिवसेना के 3 सदस्य शामिल हैं जो 121 के आंकड़े को पूरा करता है। लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये बिल किसी भी प्रकार से अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सीएबी संविधान के आर्टिकल-14 का उल्लंघन नहीं करता। लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान, अफग़ानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शर्णाथियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता संशोधन बिल के लोकसभा से पास होने पर अमेरिकी अंतराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने आपत्ति जताई है। आयोग ने एक बयान जारी कर संयुक्त राष्ट्र की सरकार से गृह मंत्री अमित शाह पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
राज्यसभा में फिलहाल 240 सदस्य हैं। जिसमें बीजेपी के 83, बीजेडी के 7, एआईएडीएमके के 11 और बीजेपी के सहयोगी दलों के 20 सदस्य जिसमें शिवसेना के 3 सदस्य शामिल हैं जो 121 के आंकड़े को पूरा करता है। लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ये बिल किसी भी प्रकार से अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सीएबी संविधान के आर्टिकल-14 का उल्लंघन नहीं करता। लोकसभा में बिल पर चर्चा के दौरान गृह मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान, अफग़ानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शर्णाथियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी। नागरिकता संशोधन बिल के लोकसभा से पास होने पर अमेरिकी अंतराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग ने आपत्ति जताई है। आयोग ने एक बयान जारी कर संयुक्त राष्ट्र की सरकार से गृह मंत्री अमित शाह पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
नागरिकता संशोधन बिल को आयोग ने "गलत दिशा में एक खतरनाक मोड़" बताया है। आयोग ने सीएबी को भारत में रहने वाले लोगों के बीच एकता और भारतीय संविधान के खिलाफ बताया है। अमेरिकी अंतराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग का कहना है कि सीएबी धर्म के आधार पर नागरिकता के लिए कानूनी मानदंड निर्धारित करता है। वीडियो देखियेUSCIRF is deeply troubled by the passage of the Citizenship (Amendment) Bill (CAB) in the Lok Sabha. The CAB enshrines a pathway to citizenship for immigrants that specifically excludes Muslims, setting a legal criterion for citizenship based on religion.https://t.co/E8DafI6HBH
— USCIRF (@USCIRF) December 9, 2019
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