विदेशी सांसदों का कश्मीर दौरा विवादों में क्यों है?
विदेशी सांसदों का जम्मू-कश्मीर का दौरा विवादों में घिर गया है. कहा जा रहा है कि इस दौरे में विदेश मंत्रालय की कोई भूमिका ही नहीं है. विदेशी सांसदों का दौरा विमेंस इकॉनमिक एंड सोशल थिंक टैंक नाम की एक संस्था ने करवाया है. इसकी मुखिया मादी शर्मा नाम की एक महिला हैं जिन्होंने ईमेल के ज़रिए विदेशी सांसदों को घाटी में दौरा करने का न्यौता दिया था.
वहीं दौरा करने वाले कई सांसदों ने माना कि घाटी में हालात तनावपूर्ण हैं. सांसद निकोलस फेस्ट ने यहां तक कहा कि अगर भारत सरकार यूरोपीय यूनियन के सांसदों को घाटी में आने दे रही है तो उसे अपने देश के विपक्षी नेताओं को भी घाटी में आने की इजाज़त देनी चाहिए. एक अन्य सांसद ने कहा कि घाटी में हालात बेहद जटिल मालूम पड़ते हैं.
वीडियो देखिये घाटी का दौरा करने के बाद विदेशी सांसदों ने एक प्रेस कांफ्रेंस में अनुच्छेद 370 हटाए जाने को भारत का आंतरिक मामला बताया. सांसदों ने कहा कि उनकी चिंता आतंकवाद को लेकर है जो एक वैश्विक समस्या है. सांसदों ने यह भी कहा कि उनके दौरे को ग़लत नज़र से देखा गया जबकि वे सिर्फ तथ्य जुटाए आए हैं.
वीडियो देखिये घाटी का दौरा करने के बाद विदेशी सांसदों ने एक प्रेस कांफ्रेंस में अनुच्छेद 370 हटाए जाने को भारत का आंतरिक मामला बताया. सांसदों ने कहा कि उनकी चिंता आतंकवाद को लेकर है जो एक वैश्विक समस्या है. सांसदों ने यह भी कहा कि उनके दौरे को ग़लत नज़र से देखा गया जबकि वे सिर्फ तथ्य जुटाए आए हैं.
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