सिखों की प्रमुख धार्मिक संस्था अकाल तख़्त ने आरएसएस पर बैन लगाने की मांग की
विजयदश्मी के मौक़े पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने नागपुर में भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित कर दिया था जिसपर टकराव शुरू हो गया है. सिखों के सबसे बड़े धार्मिक संगठन अकाल तख़्त ने आरएसएस पर देशविरोधी गतिविधियां चलाने का आरोप लगाते हुए पाबंदी की मांग की है.
सिख धर्म की सबसे बड़ी धार्मिक संस्था अकाल तख़्त के प्रमुख जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने आरएसएस पर देश को बांटने वाली गतिविधियां चलाने का आरोप लगाते हुए पाबंदी लगाने की मांग की है. ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि भारत में सभी धर्मों और आस्था से जुड़े लोग रहते हैं. यही भारत की ख़ूबसूरती है. आरएसएस ने कहा है कि भारत को हिंदू राष्ट्र बनाएंगे लेकिन यह देशहित में नहीं है.
ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने यह पलटवार विजयदश्मी पर नागपुर में दिए गए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के भाषण पर किया है. 8 अक्टूबर को मोहन भागवत ने कहा था कि संघ की अपने राष्ट्र के पहचान के बारे में, हम सबकी सामूहिक पहचान के बारे में, हमारे देश के स्वभाव की पहचान के बारे में स्पष्ट दृष्टि व घोषणा है, वह सुविचारित व अडिग है, कि भारत हिंदुस्थान, हिंदू राष्ट्र है. ज्ञानी हरप्रीत सिंह के पलटवार से आरएसएस और सिखों के बीच टकराव बढ़ने की आशंका है. इस मुद्दे पर आरएसएस को सिख धर्म के अनुयायी पहले भी चेतावनी देते रहे हैं. पिछले हफ्ते शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुख गोविंद सिंह लोगोंवाल ने भी मोहन भागवत पर हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि मोहन भागवत संविधान की बजाय अपना अजेंडा थोपने में लगे हुए हैं. हालांकि संघ पर पाबंदी की मांग नई नहीं है. आज़ाद भारत में आरएसएस पर पहली बार पाबंदी 1948 में लगी थी जब नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
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ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने यह पलटवार विजयदश्मी पर नागपुर में दिए गए आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के भाषण पर किया है. 8 अक्टूबर को मोहन भागवत ने कहा था कि संघ की अपने राष्ट्र के पहचान के बारे में, हम सबकी सामूहिक पहचान के बारे में, हमारे देश के स्वभाव की पहचान के बारे में स्पष्ट दृष्टि व घोषणा है, वह सुविचारित व अडिग है, कि भारत हिंदुस्थान, हिंदू राष्ट्र है. ज्ञानी हरप्रीत सिंह के पलटवार से आरएसएस और सिखों के बीच टकराव बढ़ने की आशंका है. इस मुद्दे पर आरएसएस को सिख धर्म के अनुयायी पहले भी चेतावनी देते रहे हैं. पिछले हफ्ते शिरोमणी गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के प्रमुख गोविंद सिंह लोगोंवाल ने भी मोहन भागवत पर हमला बोला था. उन्होंने कहा था कि मोहन भागवत संविधान की बजाय अपना अजेंडा थोपने में लगे हुए हैं. हालांकि संघ पर पाबंदी की मांग नई नहीं है. आज़ाद भारत में आरएसएस पर पहली बार पाबंदी 1948 में लगी थी जब नाथूराम गोडसे ने राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी.
संघ की अपने राष्ट्र के पहचान के बारे में, हम सबकी सामूहिक पहचान के बारे में, हमारे देश के स्वभाव की पहचान के बारे में स्पष्ट दृष्टि व घोषणा है, वह सुविचारित व अडिग है, कि भारत हिंदुस्थान, हिंदू राष्ट्र है।- सरसंघचालक #RSSVijayaDashami pic.twitter.com/eQBhEIeaTR
— RSS (@RSSorg) October 8, 2019
Akal Takht Chief Giani Harpreet Singh: People of all religions and faiths live in India. This is the beauty of India. RSS (Rashtriya Swayamsevak Sangh) has said that India will be made a 'Hindu Rashtra'. It is wrong. This is not in the interest of the country. pic.twitter.com/K7oCOTjRs3
— ANI (@ANI) October 15, 2019
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