कुलगाम में बीजेपी सरपंच की हत्या, 40 घंटे में दूसरी वारदात
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद को हटाए एक साल पूरा हो चुका है. इस दौरान केंद्र में सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी कश्मीर घाटी में अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रही है लेकिन उसके नेताओं पर लगतार जानलेवा हमले हो रहे हैं. दिसंबर 2018 में पंचायत चुनाव होने के बाद कम से कम चार बीजेपी नेताओं को आतंकी घाटी में निशाना बना चुके हैं.
गुरुवार की सुबह कुलगाम बीजेपी के उपाध्यक्ष और सरपंच सज्जाद अहमद खांडे की हत्या कर दी गई. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सज्जाद अहमद खांडे को आतंकियों ने उनके घर के बाहर बेहद क़रीब से गोली मारी. ज़ख़्मी हालत में उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी.
इस वारदात से कुछ घंटे पहले मंगलवार को एक सरपंच आरिफ़ अहमद को आतंकियों ने कुलगाम में ही गोली मारी थी. आरिफ़ अहमद को गोली सीने में लगी है और उनकी हालत नाज़ुक बनी हुई है. घाटी में आतंकियों ने बीजेपी नेताओं को उस वक्त निशाना बनाया जब अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने की पहली वर्षगांठ थी. माना जा रहा है कि आतंकियों के ख़ौफ़ के चलते घाटी में बीजेपी नेताओं ने पहली वर्षगांठ पर कोई प्रोग्राम नहीं किया. इससे पहले 8 जुलाई को बांदीपोरा में आतंकियों ने बीजेपी नेता शेख वसीम, उनके पिता और भाई की गोली मारकर हत्या कर दी थी. शेख वसीम बांदीपोरा बीजेपी के जिला अध्यक्ष थे और अपने परिवार के साथ पड़ोस की एक दुकान में बैठे थे. इस वारदात से ठीक एक महीने पहले 8 जून को आतंकियों को कांग्रेस नेता और अनंतनाग जिले के एक सरपंच अजय पंडिता गोली मारकर हत्या कर दी थी. पिछले साल नवंबर में रफ़ी अहमद नाम के एक सरपंच को भी आतंकियों ने गोली मारी थी. आतंकियों की गोली का शिकार बन रहे सरपंचों में अपनी जान की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरपंचों ने अपने गांव छोड़ दिए हैं और अपनी जान की हिफाज़त के लिए श्रीनगर में होटल में शिफ्ट हो गए हैं. सरपंचों का कहना है कि पंचायत का चुनाव दिसंबर 2018 में कड़ी सुरक्षा के बीच हुआ था. केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन इसे अपनी उपलब्धि के तौर पर गिनाते हैं लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त इसके उलट है. सरपंचों और स्थानीय नेताओं को अपनी जान की हिफाज़त के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है.
#UPDATE Sarpanch Sajad Ahmad Khanday, who was fired upon by terrorists, succumbs to his injuries. #JammuAndKashmir https://t.co/HAHyAR3Zf2
— ANI (@ANI) August 6, 2020
इस वारदात से कुछ घंटे पहले मंगलवार को एक सरपंच आरिफ़ अहमद को आतंकियों ने कुलगाम में ही गोली मारी थी. आरिफ़ अहमद को गोली सीने में लगी है और उनकी हालत नाज़ुक बनी हुई है. घाटी में आतंकियों ने बीजेपी नेताओं को उस वक्त निशाना बनाया जब अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने की पहली वर्षगांठ थी. माना जा रहा है कि आतंकियों के ख़ौफ़ के चलते घाटी में बीजेपी नेताओं ने पहली वर्षगांठ पर कोई प्रोग्राम नहीं किया. इससे पहले 8 जुलाई को बांदीपोरा में आतंकियों ने बीजेपी नेता शेख वसीम, उनके पिता और भाई की गोली मारकर हत्या कर दी थी. शेख वसीम बांदीपोरा बीजेपी के जिला अध्यक्ष थे और अपने परिवार के साथ पड़ोस की एक दुकान में बैठे थे. इस वारदात से ठीक एक महीने पहले 8 जून को आतंकियों को कांग्रेस नेता और अनंतनाग जिले के एक सरपंच अजय पंडिता गोली मारकर हत्या कर दी थी. पिछले साल नवंबर में रफ़ी अहमद नाम के एक सरपंच को भी आतंकियों ने गोली मारी थी. आतंकियों की गोली का शिकार बन रहे सरपंचों में अपनी जान की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सरपंचों ने अपने गांव छोड़ दिए हैं और अपनी जान की हिफाज़त के लिए श्रीनगर में होटल में शिफ्ट हो गए हैं. सरपंचों का कहना है कि पंचायत का चुनाव दिसंबर 2018 में कड़ी सुरक्षा के बीच हुआ था. केंद्र सरकार, जम्मू-कश्मीर प्रशासन इसे अपनी उपलब्धि के तौर पर गिनाते हैं लेकिन ज़मीनी हक़ीक़त इसके उलट है. सरपंचों और स्थानीय नेताओं को अपनी जान की हिफाज़त के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है.
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