नागरिकता क़ानून पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में भी चिंता बढ़ी
देश में विवादित नागरिकता कानून पर बढ़ते विरोध के बीच पड़ोसी देश पाकिस्तान, अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश में भी सरगर्मी बढ़ गई है. इन देशों के मीडिया ने धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाले केंद्र सरकार के नए नागरिकता क़ानून पर चिंता जताई है.
विवादित नागरिकता क़ानून पर भारत के साथ-साथ पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में भी हलचल दिख रही है. इन देशों के मीडिया संस्थानों में भारत के नए नागरकिता क़ानून को लेकर तरह-तरह की बहस चल रही है.
सबसे ज़्यादा हलचल बांग्लादेश में है. यहां अग्रेज़ी अख़बार ढाका ट्रिब्यून में मुक्तिफोरम के संपादक अनुपम देबाशीष रॉय ने एक लेख में नागरिकता क़ानून पर चिंता ज़ाहिर की है. उन्होंने लिखा कि नागरिकता क़ानून भारत से मुसलमानो को निकालने का एक हथियार है और इसका अंतिम लक्ष्य भारत को एक हिन्दू बाहुल्य देश बनाना है. दूसरे बड़े अंग्रेज़ी अख़बार डेली स्टार में बांग्लादेश हिन्दू बौद्ध ईसाई ओएक्या परिषद ने भी भारत के नए क़ानून का विरोध किया है. इनके हवाले से डेली स्टार ने लिखा है कि नए नागरिकता कानून से बांग्लादेश के अल्पसंख्यक देश छोड़ने के लिए आगे बढ़ेंगे. पाकिस्तान के अख़बार द नेशन में वरिष्ठ पत्रकार नुसरत जावेद लिखते हैं कि पाकिस्तान को भारत के नागरिकता क़ानून पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए वरना इससे भारत में कुछ लोगों को यह आरोप लगाने का मौका मिल जायेगा कि भारत में नागरिकता क़ानून विरोध प्रदर्शन पाकिस्तान प्रायोजित है। पाकिस्तानी सेना के रिटायर्ड कर्नल और इस्लामाबाद पालिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के पूर्व रिसर्च फेलो मुहम्मद हनीफ ने अंग्रेज़ी अख़बार डेली टाइम्स में लिखा है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के विरोध को बीजेपी आराम से पाकिस्तान परस्त कहकर ख़त्म कर देगी. वीडियो देखिये वहीं अफ़ग़ानिस्तान की सबसे बड़ी ऑनलाइन न्यूज़ एजेंसी ख़ामा प्रेस ने इसे भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र' बनाने की दिशा में उठाया गया एक और कदम बताया. वहीं अफ़ग़ानिस्तान की सबसे बड़ी न्यूज़ एजेंसी तोलो ने अपनी रिपोर्ट में यह कहकर भारत की आलोचन की है कि पहली बार भारत में नागरिकता का आधार धर्म को बनाया गया है.
सबसे ज़्यादा हलचल बांग्लादेश में है. यहां अग्रेज़ी अख़बार ढाका ट्रिब्यून में मुक्तिफोरम के संपादक अनुपम देबाशीष रॉय ने एक लेख में नागरिकता क़ानून पर चिंता ज़ाहिर की है. उन्होंने लिखा कि नागरिकता क़ानून भारत से मुसलमानो को निकालने का एक हथियार है और इसका अंतिम लक्ष्य भारत को एक हिन्दू बाहुल्य देश बनाना है. दूसरे बड़े अंग्रेज़ी अख़बार डेली स्टार में बांग्लादेश हिन्दू बौद्ध ईसाई ओएक्या परिषद ने भी भारत के नए क़ानून का विरोध किया है. इनके हवाले से डेली स्टार ने लिखा है कि नए नागरिकता कानून से बांग्लादेश के अल्पसंख्यक देश छोड़ने के लिए आगे बढ़ेंगे. पाकिस्तान के अख़बार द नेशन में वरिष्ठ पत्रकार नुसरत जावेद लिखते हैं कि पाकिस्तान को भारत के नागरिकता क़ानून पर प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए वरना इससे भारत में कुछ लोगों को यह आरोप लगाने का मौका मिल जायेगा कि भारत में नागरिकता क़ानून विरोध प्रदर्शन पाकिस्तान प्रायोजित है। पाकिस्तानी सेना के रिटायर्ड कर्नल और इस्लामाबाद पालिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के पूर्व रिसर्च फेलो मुहम्मद हनीफ ने अंग्रेज़ी अख़बार डेली टाइम्स में लिखा है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के विरोध को बीजेपी आराम से पाकिस्तान परस्त कहकर ख़त्म कर देगी. वीडियो देखिये वहीं अफ़ग़ानिस्तान की सबसे बड़ी ऑनलाइन न्यूज़ एजेंसी ख़ामा प्रेस ने इसे भारत को ‘हिन्दू राष्ट्र' बनाने की दिशा में उठाया गया एक और कदम बताया. वहीं अफ़ग़ानिस्तान की सबसे बड़ी न्यूज़ एजेंसी तोलो ने अपनी रिपोर्ट में यह कहकर भारत की आलोचन की है कि पहली बार भारत में नागरिकता का आधार धर्म को बनाया गया है.
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