पुरी की परंपरा पर कोर्ट ने अपना फैसला पलटा, कहा- भक्तों के बिना निकाली जाए रथ यात्रा

by GoNews Desk 3 years ago Views 1484

Court reverses its decision on the tradition of Pu
जगन्नाथ यात्रा पर दिए अपने फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने पलटते हुए ओडिशा के सिर्फ पुरी इलाके में रथ यात्रा की इजाज़त दे दी है। इसके अलावा पूरे राज्य में इस यात्रा को प्रतिबंधित रखा गया है। साथ ही कोर्ट ने सख्त लहज़े में भक्तों को यात्रा में शामिल नहीं होने का आदेश दिया है।

कोर्ट ने कहा, ‘मंदिर कमेटी, राज्य सरकार और केंद्र सरकार के तालमेल के साथ यात्रा निकाली जाए, लेकिन लोगों की सेहत से समझौता नहीं होना चाहिए। अगर हालात बेकाबू होते दिखें तो ओडिशा सरकार यात्रा को रोक सकती है।’


यात्रा पर रोक के बाद केन्द्र सरकार ने कोर्ट में रिव्यू पेटिशन दाखिल कर मांग की थी कि श्रद्धालुओं के बिना या कर्फ्यू लगाकर यात्रा निकाली जाए। सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रथ यात्रा करोड़ों लोगों की आस्था का मामला है। भगवान जगन्नाथ कल बाहर नहीं आ पाए तो फिर 12 साल तक नहीं निकल पाएंगे, क्योंकि रथ यात्रा की यही परंपरा है।

हालांकि कोर्ट के फैसले के बाद पुरी मठ के शंकराचार्य ने भी फैसले पर पुन: विचार की मांग की थी। शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने चीफ जस्टिस एसए बोबडे के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। चीफ जस्टिस ने कहा था कि अगर इस संकट में रथ यात्रा की परमिशन दे दी तो भगवान कभी माफ नहीं करेंगे। इसके जवाब में  शंकराचार्य ने पूछा- रथा यात्रा निकालने की सदियों पुरानी परंपरा तोड़ी तो क्या भगवान माफ कर देंगे?

बता दें कि 23 जून यानि मंगलवार को निकलने वाली इस यात्रा में हर साल लाखों लोग जुटते हैं। इसीलिए कोरोना महामारी की वजह से इसपर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस मामले पर अपना फैसले सुनाते हुए कोर्ट ने 18 जून को रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी।

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