21 साल के निचले स्तर पर पहुंंची कच्चे तेल की क़ीमत, पानी से भी सस्ता हुआ
कोरोनावायरस से पूरी दुनिया में उथल पुथल मची हुई है और इससे निपटने का कोई रास्ता आस पास नज़र नहीं आ रहा है। इस महामारी की चलते दुनिया पर आर्थिक मंदी के बादल मंडरा रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमतें लगातार गिरकर अब 21 साल के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई हैं।
अंतर्राष्ट्रीय बाजार में आज की तारीख में क्रूड ऑयलयानि कच्चे तेल के एक बैरल की कीमत 15 डॉलर से भी नीचे चली गयी है। लगभग एक महीने पहले कच्चे तेल के एक बैरल की कीमत 31 डॉलर तक थी और लगभग तीन महीने यही कीमत 68.18 डॉलर प्रति बैरल थी। एक बैरल का मतलब 159 लीटर होता है। अब अगर एक डॉलर की कीमत 76 रुपए भी लगाए तो एक बैरल कच्चे तेल की कीमत बैठती है 1140 रुपए। आसान भाषा में कहें तो कच्चा तेल पानी से भी सस्ता हो गया है।
इस समय भारत में एक लीटर पानी की बोतल की कीमत है 20 प्रति लीटर रूपये, वहीं कच्चे तेल की कीमत गिरकर इससे भी कम यानी महज़ 7 रूपये प्रति लीटर रह गयी है। पूरी दुनिया पहले ही आर्थिक मंदी की चपेट में थी लेकिन कोरोनावायरस की वजह से हुए वैश्विक लॉकडाउन से ऑयलइंडस्ट्री की जैसे कमर ही टूट गयी है। आलम ये है कि सप्लाई ज्यादा और मांग कम होने के चलते पूरी दुनिया में कच्चे तेल के भंडार भरे हुए हैं और अतिरिक्त तेल रखने के लिए जगह तक नहीं है। हालत इतनी गंभीर है कि अमरीकी सरकार अपनी घरेलू तेल कंपनियों को पैसे देने की सोच रही है ताकि वे तेल तो ज़मीन के अंदर ही रखें। वीडियो देखिए इस अभूतपूर्व समस्या से निपटने में OPEC जोकि तेल उत्पादक देशों का समूह है, वो भी नाकाम साबित हुआ है। OPEC के सदस्य देशों ने पहले फैसला लिया था कि तेल के उत्पादन में 9.7 मिलियन बैरल यानि 97 लाख बैरल प्रति दिन की कटौती की जाएगी ताकि कीमतें स्थिर रहें। हालांकि तेल में कीमतों में आयी ज़बरदस्त गिरावट साफ़ इशारा कर रही है कि ये मात्रा भी नाकाफी है। कोरोनावायरस के उपजे हालात के अलावा रूस-सऊदी अरबिया में तेल पर चल रही तनातनी भी इसके लिए ज़िम्मेदार है। दोनों देश एक दूसरे की ऑयलइंडस्ट्री को बर्बाद करने के लिए कीमत घटाते गए जिससे पहले से ही तेल की कीमतें नीचे जा रही थी। लेकिन अब हालत काबू से बाहर होते नज़र आ रहे है और मालूम पड़ता है कि दुनिया सबसे गंभीर आर्थिक संकट में फंस चुकी है।
इस समय भारत में एक लीटर पानी की बोतल की कीमत है 20 प्रति लीटर रूपये, वहीं कच्चे तेल की कीमत गिरकर इससे भी कम यानी महज़ 7 रूपये प्रति लीटर रह गयी है। पूरी दुनिया पहले ही आर्थिक मंदी की चपेट में थी लेकिन कोरोनावायरस की वजह से हुए वैश्विक लॉकडाउन से ऑयलइंडस्ट्री की जैसे कमर ही टूट गयी है। आलम ये है कि सप्लाई ज्यादा और मांग कम होने के चलते पूरी दुनिया में कच्चे तेल के भंडार भरे हुए हैं और अतिरिक्त तेल रखने के लिए जगह तक नहीं है। हालत इतनी गंभीर है कि अमरीकी सरकार अपनी घरेलू तेल कंपनियों को पैसे देने की सोच रही है ताकि वे तेल तो ज़मीन के अंदर ही रखें। वीडियो देखिए इस अभूतपूर्व समस्या से निपटने में OPEC जोकि तेल उत्पादक देशों का समूह है, वो भी नाकाम साबित हुआ है। OPEC के सदस्य देशों ने पहले फैसला लिया था कि तेल के उत्पादन में 9.7 मिलियन बैरल यानि 97 लाख बैरल प्रति दिन की कटौती की जाएगी ताकि कीमतें स्थिर रहें। हालांकि तेल में कीमतों में आयी ज़बरदस्त गिरावट साफ़ इशारा कर रही है कि ये मात्रा भी नाकाफी है। कोरोनावायरस के उपजे हालात के अलावा रूस-सऊदी अरबिया में तेल पर चल रही तनातनी भी इसके लिए ज़िम्मेदार है। दोनों देश एक दूसरे की ऑयलइंडस्ट्री को बर्बाद करने के लिए कीमत घटाते गए जिससे पहले से ही तेल की कीमतें नीचे जा रही थी। लेकिन अब हालत काबू से बाहर होते नज़र आ रहे है और मालूम पड़ता है कि दुनिया सबसे गंभीर आर्थिक संकट में फंस चुकी है।
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