फिरोज़ाबाद: चूड़ी उद्योग की कमर टूटने से कारख़ानों के बंद होने का ख़तरा
लॉकडाउन के चलते छोटे और मझोले उद्योगों की कमर टूट गई है. यही हाल यूपी के फिरोज़ाबाद में दिख रहा है जहां चूड़ियां के कारख़ाने हैं. त्यौहारी मौसम में इन कारख़ानों में बड़े पैमाने पर चूड़ियों का उत्पादन होता था लेकिन अब यहां सन्नाटा पसरा है.
लॉकडाउन के चलते ना ईद के बाज़ार सजे हैं और ना बाज़ारों से मांग कारख़ानों तक पहुंच रही है. लिहाज़ा फ़िरोज़ाबाद के चूड़ी कारख़ानों में काम करने वाले हज़ारों मज़दूर हाथ पर हाथ रखकर बैठे हुए हैं. फ़िरोज़ाबाद अभी रेड ज़ोन में है और कारख़ानों को दोबारा चालू करना आसान नहीं है.
कारोबारी राहुल मित्तल ने बताया कि चूड़ियों का एक्सपोर्ट पूरी तरह बंद है. पुराने ऑर्डर कैंसिल हो गए हैं और नए ऑर्डर मिल नहीं रहे. उनका कहना है कि लॉकडाउन ने इस उद्योग को लगभग ख़त्म कर दिया है. केंद्र या राज्य सरकार से मदद के बिना इसे दोबारा शुरू करना मुश्किल है. वीडियो देखिए कारोबारी अक्षय दीप सिंह कहते हैं कि पहले चूड़ी बनाने के कच्चा माल पर महज़ दो फ़ीसदी टैक्स देना होता था लेकिन अब 18 फ़ीसदी जीएसटी देना पड़ता है. यह चुनौती पहले ही थी और अब लॉकडाउन ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. कारोबारियों ने मांग की है कि अगर उन्हें ब्याज मुक्त कर्ज़ नहीं मिलता है और कच्चे माल पर लगे टैक्स में कमी नहीं की गई तो इस उद्योग का दोबारा पटरी पर आना बेहद मुश्किल होगा.
कारोबारी राहुल मित्तल ने बताया कि चूड़ियों का एक्सपोर्ट पूरी तरह बंद है. पुराने ऑर्डर कैंसिल हो गए हैं और नए ऑर्डर मिल नहीं रहे. उनका कहना है कि लॉकडाउन ने इस उद्योग को लगभग ख़त्म कर दिया है. केंद्र या राज्य सरकार से मदद के बिना इसे दोबारा शुरू करना मुश्किल है. वीडियो देखिए कारोबारी अक्षय दीप सिंह कहते हैं कि पहले चूड़ी बनाने के कच्चा माल पर महज़ दो फ़ीसदी टैक्स देना होता था लेकिन अब 18 फ़ीसदी जीएसटी देना पड़ता है. यह चुनौती पहले ही थी और अब लॉकडाउन ने मुश्किलें बढ़ा दी हैं. कारोबारियों ने मांग की है कि अगर उन्हें ब्याज मुक्त कर्ज़ नहीं मिलता है और कच्चे माल पर लगे टैक्स में कमी नहीं की गई तो इस उद्योग का दोबारा पटरी पर आना बेहद मुश्किल होगा.
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