प्रदूषण कम करने के लिये भुवनेश्वर में बन रही है 46 फीट की इको फ्रैंडली गणेश प्रतिमा
गणेश उत्सव में अब महज़ चार दिन बाकी हैं। पूजा के लिए मूर्तिकार तरह-तरह के रंगों से मूर्तियों को अंतिम रुप दे रहे हैं। भुवनेश्वर में 46 फीट की इको फ्रैंडली गणेश प्रतिमा बनाई जा रही है। मक़सद है कि मूर्तियों के विसर्जन से नदियों में होने वाला प्रदूषण कम किया जाए।
सितंबर के आते ही देशभर में पूजा-पाठ का दौर शुरु हो जाता है। गणेश चतुर्थी, दुर्गा पूजा, लक्ष्मी पूजा, विश्वकर्मा पूजा जैसे तमाम त्योहार हैं जिनमें लाखों मूर्तियां बनाई जाती हैं और आख़िर में इन्हें नदियों में प्रवाहित कर दिया जाता है। मगर इन मूर्तियों को बनाने और रंगने में इस्तेमाल होने वाले रसायन इतने ज़हरीले होते हैं कि हर साल नदियों में प्रदूषण बढ़ जाता है।
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अलावा पर्यावरण से जुड़े तमाम संगठन अपने शोध में बता चुके हैं कि त्योहारी मौसम में मूर्तियों के विसर्जन के बाद पानी में एसिड की मात्रा अप्रत्याशित तरीक़े से बढ़ जाती है, जबकि ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है। इसके अलावा पानी के अंदर पाए जाने वाले खनिज तत्व जैसे लोहा, तांबा की मात्रा भी 200 से 300 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। सीपीसीबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक पॉलिश और पेंट से तैयार की गई चमकदार मूर्तियों के विसर्जन से यमुना में क्रोमियम के स्तर में 11 गुना तक बढ़ोतरी गई थी। यमुना में लोहा भी तय 0.3 मिलीग्राम के मानक से 71 गुना अधिक हो गया। नदी विज्ञानी और पर्यावरण प्रेमी के लगातार चलाए जा रहे अभियान के बाद अब इको फ्रेंडली मूर्तियां बनाई जा रही हैं लेकिन ये कोशिशें फिलहाल ऊंट के मुंह में ज़ीरा है।
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