GoFlashback : जब राजीव गाँधी की सरकार में खुला था राम मंदिर का ताला और हुआ था भूमिपूजन

by M. Nuruddin 3 years ago Views 13524

GoFlashback: When Rajiv Gandhi's government opened the lock of Ram temple and Bhumi Pujan was done

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को यूपी के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. लेकिन आप क्या जानते हैं ऐसा पहली बार नहीं है जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन हो रहा है। इससे पहले साल 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के राज में भी मंदिर निर्माण के लिए शिलान्यास हो चूका हैं।

बात उस समय की है जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे बीर बहादुर सिंह और केंद्र में सरकार थी राजीव गाँधी की (कांग्रेस)। इन्हीं के शासन के दौरान सालों से बंद पड़े मंदिर के दरवाज़े खोले गए थे। राजीव गांधी ने बीर बहादुर सिंह के साथ तालमेल कर मंदिर के ताले खुलवाए और जिसके बाद 9 नवंबर, 1989 में अयोध्या में शिलान्यास हुआ। ऐसा नहीं है सबकुछ अचानक हुआ बल्कि इन सबकी शुरुआत काफी पहले हो गई थी। साल 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कहने पर ही दूरदर्शन पर रामायण का प्रसारण शुरू किया गया था। रामायण की उसी प्रसारण से राम मंदिर आंदोलन को ताकत मिली थी।


हालांकि राम नाम की राजनीती करने की एक वजह थी। ये वो दौर था जब विश्व हिन्दू परिषद राम मंदिर मुद्दे को लेकर सड़कों पर उतरी हुई थी और चुनावों में राम मंदिर मुद्दे को भुनाने की कोशिश हो रही थी। लेकिन तेज़ी से भारतीय जनता पार्टी ने मंदिर के मुद्दे को लपक लिया और अपने एजेंडा में शामिल कर लिया। राम के नाम पर देशभर में भक्ति की लहर बहने लगी। राजीव गांधी को सत्ता गंवाने का डर था, यही वजह थी कि उन्होंने 1989 में वीएचपी को शिलान्यास की इजाज़त दे दी।

वीडियो देखिए

लेकिन इसके पीछे एक और वजह थी और वो था सुप्रीम कोर्ट का तीन तलाक मामले में सुनाया गया फैसला। लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल 1985 को अपना फैसला शाह बानो के पक्ष में दिया। कोर्ट के इस फैसले के बाद देशभर में मुसलमानों ने राजीव सरकार के ख़िलाफ मोर्चा खोल दिया। उत्तर प्रदेश में हुए कई उपचुनावों में कांग्रेस पार्टी को हार का सामना करना पड़ा।

बाद में फरवरी 1986 को राजीव गांधी ने मुस्लिम महिला (तलाक अधिकार संरक्षण) विधेयक 1986 पेश किए और तीन महीने के भीतर ये राज्यसभा से पास होकर क़ानून बन गया। इसकी वजह से राजीव गांधी पर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगे। कहा जाता है कि इन्हीं आरोपों से पीछा छुड़ाने के लिए राजीव गांधी ने राम मंदिर में भूमिपूजन की इजाज़त दी थी।

तत्कालीन कैबिनेट मंत्री अरुण नेहरू ने गोन्यूज़ इंडिया के संपादक पंकज पचौरी से तब एक इंटर्व्यू में कहा था कि हमने मुसलमानों को शाह बानो दे दिया और हिन्दुओं को राम मंदिर। अपनी मुस्लिम-तुष्टिकरण की छवि तोड़ने के लिए ही 1989 में चुनावी रैलियों की शुरूआत राजीव गांधी ने अयोध्या से की।

लेकिन ताला खुलने और राजीव गाँधी द्वारा कराए शिलान्यास का फ़ायदा छका बीजेपी ने। अब लंबी क़ानूनी लड़ाई के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हो चूका है और इसका क्रेडिट बीजेपी को मिल रहा है लेकिन इसके पीछे काफी बड़ी भूमिका कांग्रेस पार्टी की भी है।

यहाँ तक की कई भारतीय जनता पार्टी के नेता भी मानते हैं कि अगर अगर राजीव गांधी मंदिर के द्वार नहीं खुलवाते तो मंदिर का मार्ग कभी प्रशस्त नहीं हो पाता।

 

Latest Videos

Latest Videos

Facebook Feed