'लद्दाख में विवादित इलाक़े से भारत-चीन के सैनिक पीछे हटे'
भारत-चीन सीमा पर अब तनाव ख़त्म होते नज़र आ रहे हैं। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने जानकारी दी है कि लद्दाख में दोनों देशों की सेना आपसी सहमति से पीछे हट गई है। दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर और कूटनीतिक स्तर पर बात-चीत हुई है। सीमा पर हिंसा के बाद चार राउंड में बात-चीत पूरी हो चुकी है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि दोनों देशों के बीच पांचवें राउंड की बात-चीत होना बाकी है, जिसके बाद सभी मामले सुलझा लिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सीमा विवाद को लेकर भी तीन बार बात-चीत हो चुकी है। वांग वेनबिन का कहना है कि अब हालात सामान्य होने की दिशा में बढ़ रहे हैं।
हालांकि इससे पहले शनिवार को भारतीय मीडिया में सूत्रों के हवाले से ऐसी ख़बरें आई थी कि पट्रोलिंग पॉइंट 15, गोगरा इलाक़े और गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए हैं। जबकि पैंगोंग त्सो झील से जुड़े फिंगर एरिया में सैनिकों को अभी तक पीछे नहीं हटाया गया है। बता दें कि अमेरिकी खुफिया प्लेटफॉर्म स्ट्रैटफ़र ने सैटेलाइट इमेज के आधार पर बताया था कि लद्दाख सेक्टर में 50 कैंप, सपोर्ट बेस और हेलिपैड बने हैं। इनमें 26 नए कैंप, 22 सपोर्ट बेस और दो हेलिपैड का निर्माण कर लिया है। चीन की तरफ से किए गए इस नए निर्माणों को भारत ने साल 1993 में हुए शांति समझौते का उल्लंघन बताया है। गौरतलब है कि पांच जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने टेलीफोन पर करीब दो घंटे तक बात-चीत की थी। इस बीच दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिये चर्चा की थी। इस वार्ता के बाद दोनों देशों की सेना के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हुई थी।
हालांकि इससे पहले शनिवार को भारतीय मीडिया में सूत्रों के हवाले से ऐसी ख़बरें आई थी कि पट्रोलिंग पॉइंट 15, गोगरा इलाक़े और गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिक पीछे हट गए हैं। जबकि पैंगोंग त्सो झील से जुड़े फिंगर एरिया में सैनिकों को अभी तक पीछे नहीं हटाया गया है। बता दें कि अमेरिकी खुफिया प्लेटफॉर्म स्ट्रैटफ़र ने सैटेलाइट इमेज के आधार पर बताया था कि लद्दाख सेक्टर में 50 कैंप, सपोर्ट बेस और हेलिपैड बने हैं। इनमें 26 नए कैंप, 22 सपोर्ट बेस और दो हेलिपैड का निर्माण कर लिया है। चीन की तरफ से किए गए इस नए निर्माणों को भारत ने साल 1993 में हुए शांति समझौते का उल्लंघन बताया है। गौरतलब है कि पांच जुलाई को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने टेलीफोन पर करीब दो घंटे तक बात-चीत की थी। इस बीच दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने के लिये चर्चा की थी। इस वार्ता के बाद दोनों देशों की सेना के पीछे हटने की प्रक्रिया शुरू हुई थी।
Latest Videos