सुप्रीम कोर्ट की सख़्ती के बाद जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट सेवा बहाल हुई
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के सख़्त तेवर के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने इंटरनेट सेवा से जुड़ी पाबंदी को हटाने का फैसला किया है. हालांकि इंटरनेट सेवा की बहाली के बावजूद सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर पाबंदी जारी रहेगी.
सुप्रीम कोर्ट की सख़्ती के बाद जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने कुछ हिस्सों में अगले सात दिनों के लिए ब्रॉडबैंड सेवा बहाल करने का फैसला किया है. जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग ने कहा है कि सभी ज़रूरी सेवाओं वाले संस्थानों, अस्पतालों, बैंकों, सरकारी दफ़्तरों में ब्रॉडबैंड सेवा शुरू की जाएगी। इनके आलावा टूरिज़्म सेक्टर को ध्यान में रखते हुए होटलों में भी इंटरनेट सेवा बहाल की जाएगी.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के आदेश में यह भी कहा गया है कि जम्मू के पांच जिले सांबा, कठुआ, उधमपुर और रियासी में पोस्टपेड मोबाइलों पर 2जी स्पीड की इंटरनेट सेवा दी जाएगी. वहीं कश्मीर घाटी में इंटरनेट सेवा के लिए 400 इंटरनेट कियॉस्क स्थापित किए जाएंगे। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने कहा कि जल्द ही इसे पूरी तरह बहाल किया जाएगा। वीडियो देखिये जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सेवा समेत तमाम पाबंदियां बीते 5 अगस्त से ही लागू हैं. केंद्र सरकार ने यह कार्रवाई अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने के दौरान की थी. मगर इस तरह की पाबंदियों के चलते जम्मू और घाटी के लोगों को तरह-तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा. घाटी में शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई थी. इसकी वजह से जम्मू-कश्मीर को हज़ारों करोड़ रुपयों का नुकसान हो चुका है. इन पाबंदियों के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में तमाम याचिकाएं दायर की गई थीं और पिछले हफ्ते सर्वोच्च अदालत ने इंटरनेट को मौलिक अधिकार बताते हुए केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को आड़े हाथों लिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस तेवर के बाद जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों को ख़त्म किया जा रहा है.
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के आदेश में यह भी कहा गया है कि जम्मू के पांच जिले सांबा, कठुआ, उधमपुर और रियासी में पोस्टपेड मोबाइलों पर 2जी स्पीड की इंटरनेट सेवा दी जाएगी. वहीं कश्मीर घाटी में इंटरनेट सेवा के लिए 400 इंटरनेट कियॉस्क स्थापित किए जाएंगे। जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू ने कहा कि जल्द ही इसे पूरी तरह बहाल किया जाएगा। वीडियो देखिये जम्मू कश्मीर में इंटरनेट सेवा समेत तमाम पाबंदियां बीते 5 अगस्त से ही लागू हैं. केंद्र सरकार ने यह कार्रवाई अनुच्छेद 370 को ख़त्म करने के दौरान की थी. मगर इस तरह की पाबंदियों के चलते जम्मू और घाटी के लोगों को तरह-तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा. घाटी में शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यटन की व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई थी. इसकी वजह से जम्मू-कश्मीर को हज़ारों करोड़ रुपयों का नुकसान हो चुका है. इन पाबंदियों के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में तमाम याचिकाएं दायर की गई थीं और पिछले हफ्ते सर्वोच्च अदालत ने इंटरनेट को मौलिक अधिकार बताते हुए केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासन को आड़े हाथों लिया था. सुप्रीम कोर्ट के इस तेवर के बाद जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों को ख़त्म किया जा रहा है.
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