लॉकडाउन बन सकता है 23 लाख से ज़्यादा बच्चों की मौत का कारण: रिपोर्ट
कोरोना वायरस महामारी का आम स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर बुरा प्रभाव पड़ा है। कोरोना से इतर बीमार पड़ने वाले लोगों को इन दिनों पर्याप्त इलाज़ नहीं मिल पा रहा है। यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक़ लॉकडाउन का बच्चों पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। दरअसल देशभर के लगभग अस्पतालों में कोरोना के मरीज़ों का इलाज़ किया जा रहा है। ऐसे में इन दिनों जन्म लेने वाले बच्चों का टीकाकरण का काम थम गया है।
यूनिसेफ की रिपोर्ट में सामने आया है कि लॉकडाउन के बीच 40 दिनों की अवधि में देशभर में 27 लाख बच्चों ने जन्म लिया। इनमें 19 लाख बच्चों का गांवों में और आठ लाख बच्चों का जन्म शहरों में हुआ है। प्रति दिन 67,385 बच्चों ने जन्म लिया और चोटी के आठ देशों में भारत पहले नंबर पर रहा।
इसी तरह चीन में 46,299 बच्चों ने एक दिन में जन्म लिया। वहीं नाइजीरिया में 26,039, पाकिस्तान में 16,787, इंडोनेशिया में 13,020, अमेरिका में 10,452, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कॉन्गो में 10,247 और अफ्रीकी देश इथियोपिया में 8,493 बच्चों ने एक दिन में जन्म लिया। जबकि दुनियाभर में यही आँकड़ा चार लाख रहा। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि आने वाले एक साल में टीकाकारण के अभाव में देश के अन्दर करीब 20 लाख बच्चों की मौत हो सकती है। यही नहीं जन्म लेने वाले कुल बच्चों में 47 फीसदी बच्चों की मौत पहले महीने में पर्याप्त इलाज़ नहीं मिलने के कारण हो जाती है। ब्रिटिश जर्नल लांसेट की ताज़ा रिपोर्ट कहती है कि यदि टीकाकरण में 25 फीसदी की कमी आती है तो इसका बच्चों पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसा होने पर अगले तीन महीने में 578,500 अतिरिक्त बच्चों और 28,350 माताओं की मौत हो सकती है। यही नहीं अगले छह महीने में 1,157,000 बच्चे और 56,700 माताएं अपनी जान गंवा सकती हैं। रिपोर्ट कहती है कि अगले 12 महीने में 23 लाख से ज़्यादा बच्चे जबकि 113,000 से ज़्यादा माताएं टीकाकरण के अभाव में अपनी जान गंवा सकती हैं। आंकड़े साफ दर्शाते हैं कि कोरोना वायरस के कारण किया गया लॉकडाउन लाखों ज़िन्दगियों को मौत के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। पिछ्ले साल आई यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में पांच साल से कम उम्र के साढ़े आठ लाख से ज़्यादा बच्चों की मौत हुई थी जोकि दुनिया में सबसे ज़्यादा थी।
इसी तरह चीन में 46,299 बच्चों ने एक दिन में जन्म लिया। वहीं नाइजीरिया में 26,039, पाकिस्तान में 16,787, इंडोनेशिया में 13,020, अमेरिका में 10,452, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ़ कॉन्गो में 10,247 और अफ्रीकी देश इथियोपिया में 8,493 बच्चों ने एक दिन में जन्म लिया। जबकि दुनियाभर में यही आँकड़ा चार लाख रहा। रिपोर्ट में आशंका जताई गई है कि आने वाले एक साल में टीकाकारण के अभाव में देश के अन्दर करीब 20 लाख बच्चों की मौत हो सकती है। यही नहीं जन्म लेने वाले कुल बच्चों में 47 फीसदी बच्चों की मौत पहले महीने में पर्याप्त इलाज़ नहीं मिलने के कारण हो जाती है। ब्रिटिश जर्नल लांसेट की ताज़ा रिपोर्ट कहती है कि यदि टीकाकरण में 25 फीसदी की कमी आती है तो इसका बच्चों पर बुरा असर पड़ सकता है। ऐसा होने पर अगले तीन महीने में 578,500 अतिरिक्त बच्चों और 28,350 माताओं की मौत हो सकती है। यही नहीं अगले छह महीने में 1,157,000 बच्चे और 56,700 माताएं अपनी जान गंवा सकती हैं। रिपोर्ट कहती है कि अगले 12 महीने में 23 लाख से ज़्यादा बच्चे जबकि 113,000 से ज़्यादा माताएं टीकाकरण के अभाव में अपनी जान गंवा सकती हैं। आंकड़े साफ दर्शाते हैं कि कोरोना वायरस के कारण किया गया लॉकडाउन लाखों ज़िन्दगियों को मौत के मुहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है। पिछ्ले साल आई यूनिसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में पांच साल से कम उम्र के साढ़े आठ लाख से ज़्यादा बच्चों की मौत हुई थी जोकि दुनिया में सबसे ज़्यादा थी।
Latest Videos