दिल्ली में कम्युनिटी ट्रांसमिशन हुआ या नहीं, सस्पेंस बरक़रार
राजधानी दिल्ली में कोरोनावायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो गया है या नहीं, इसपर सस्पेंस बरक़रार है. दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन का दावा है कि दिल्ली में कोरोना के 50 फीसदी मामलों का स्रोत पता नहीं चला पाया है और यहां कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है. एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया के हवाले से उन्होंने कहा कि दिल्ली के कंटेनमेंट ज़ोन में कम्युनिटी स्प्रेडिंग हो रही है लेकिन केन्द्र इसे मानने से इंकार कर रहा है.
हालांकि सत्येंद्र जैन के दावे से इतर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया का कहना है कि कम्युनिटी ट्रांसमिशन एक टेक्निकल टर्म है और इसपर फैसला करने का अधिकार केंद्र सरकार का है.
वीडियो देखिए मनीष सिसौदिया ने यह आशंका भी ज़ाहिर की है कि आने वाले वक़्त में दिल्ली में हालात और ज़्यादा बिगड़ेंगे, तब अस्पतालों में बेड की किल्लत हो जाएगी. सिसौदिया का अनुमान है कि 15 जून तक दिल्ली में 44,000 मामले होंगे और 6,600 बेड की ज़रूरत पड़ेगी। इसी तरह 30 जून तक एक लाख मामले होंगे और तब अस्पतालों में 15,000 बेड की ज़रूरत होगी। वहीं 15 जुलाई तक 2.25 लाख मामले और 33,000 बेड की ज़रूरत और 31 जुलाई तक 5.5 लाख मामले और अस्पतालों में करीब 80,000 बेड की ज़रूरत पड़ने वाली है।’ सेंटर फॉर डिज़ीज़ डाइनेमिक, इकोनॉमिक एंड पॉलिसी यानी सीडीडीईपी के आंकड़ों के मुताबिक़ दिल्ली में कुल अस्पतालों की संख्या 176 है जहां 39,455 बेड्स हैं जबकि आईसीयू से लैस बेड्स की संख्या 1,973 है. अगर दिल्ली में हालात बिगड़े तो स्वास्थ्य ढांचा चरमराने का ख़तरा है.
वीडियो देखिए मनीष सिसौदिया ने यह आशंका भी ज़ाहिर की है कि आने वाले वक़्त में दिल्ली में हालात और ज़्यादा बिगड़ेंगे, तब अस्पतालों में बेड की किल्लत हो जाएगी. सिसौदिया का अनुमान है कि 15 जून तक दिल्ली में 44,000 मामले होंगे और 6,600 बेड की ज़रूरत पड़ेगी। इसी तरह 30 जून तक एक लाख मामले होंगे और तब अस्पतालों में 15,000 बेड की ज़रूरत होगी। वहीं 15 जुलाई तक 2.25 लाख मामले और 33,000 बेड की ज़रूरत और 31 जुलाई तक 5.5 लाख मामले और अस्पतालों में करीब 80,000 बेड की ज़रूरत पड़ने वाली है।’ सेंटर फॉर डिज़ीज़ डाइनेमिक, इकोनॉमिक एंड पॉलिसी यानी सीडीडीईपी के आंकड़ों के मुताबिक़ दिल्ली में कुल अस्पतालों की संख्या 176 है जहां 39,455 बेड्स हैं जबकि आईसीयू से लैस बेड्स की संख्या 1,973 है. अगर दिल्ली में हालात बिगड़े तो स्वास्थ्य ढांचा चरमराने का ख़तरा है.
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