बिहार पर कोरोना की मार
25 की लॉकडाउन से ठीक एक दिन पहले अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे बिहार के 50 हज़ार मज़दूर वापस लौट आए। शुक्रवार को ख़बर आई कि कोलकाता से पाँच ट्रक भर के छह सौ मज़दूर छपरा जा रहे थे उन्हें नवादा के पास पुलिस ने रोक लिया और आइसोलेट कर दिया।
क्या बिहार इसके लिए तैयार था या आज इसके लिए तैयार है? पानी सर के ऊपर से गुज़रने वाला ही था की ट्विटर पर शेम शेम हो गई और #ShameOnNitishKumar ट्रेंड करने लगा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 100 करोड़ के पैकेज का ऐलान कर दिया। लेकिन फ़िलहाल हालात ये हैं देश में कई जगह सड़कों पर मज़दूरों को भूखे प्यासे पैदल जाते हुए देखा जा सकता है। ख़ास कर बिहार के मज़दूर पूरे देश में फैले हुए हैं।
बिहार से निकल कर वे महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली जैसी जगहों पर रोज़गार करते हैं। ये वो जगहें हैं जहाँ से कोरोना के केस आ रहे हैं। समस्या ये है कि आज भी बिहार के मज़दूर बड़ी संख्या में बिहार लौट रहे हैं। ज़्यादातर पैदल ही गाँव की ओर निकल पड़े हैं। भूख से मरने से बेहतर है कि अपनों के पास पहुँच जाएँ। शहर में कोई काम नहीं देगा। मज़दूरी तो चली गई। कोरोना से बच गए तो शायद गाँव में मनरेगा में काम मिल जाए। मई-जून में वैसे भी मनरेगा में सबसे अधिक काम मिलता है। सबसे ज़्यादा मज़दूरों का माइग्रेशन बिहार से होता है। काम की तलाश में सबसे ज़्यादा बिहार का मज़दूर शहर की तरफ़ भागता है। गोवा, महाराष्ट्र राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली कहीं काम मिल जाए। वो चला जाता है। अब ये सब मज़दूर वापस लौट रहे हैं। बिहार से सबसे ज़्यादा लोग महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की ओर रूख करते हैं। ये बिहार पर सबसे बड़ी मार है। सारे मज़दूरों को टेस्ट करना एक चुनौती है। अलग-अलग राज्यों से बिहार पहुँचे मज़दूरों की संख्या लाखों में पहुँच चुकी है और लाखों लोग अभी रास्ते में हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि इतनी बड़ी संख्या में मज़दूर वापस लौट रहे हैं कि सबको क्वॉरंटाइन करना नामुमकिन है। क्योंकि माइग्रेंट वर्कर्स सेल्फ़ क्वॉरंटाइन की बात नहीं मान रहे हैं। सरकार का कहना है कि उनके पास 15 हज़ार स्क्रीनिंग किट आए हैं लेकिन ये काफ़ी नहीं हैं। पटना, गोपालगंज, मुंगेर, सिवान और बेगुसराय आदि शहरों से लगातार केस आ रहे हैं। बेगुसराय में एक संदिग्ध की मौत के बाद हड़कम्प मच गया। पटना में नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल एनएमसीएच को नोडल हॉस्पिटल बनाया गया है यहाँ सिर्फ़ कोरोना ससपेक्टेड केस या पॉज़िटिव केस ही भर्ती किया जाएगा। यहाँ सुविधा नहीं होने के कारण रेज़िडेंट् डाक्टर्ज़ नाराज़ हो गए थे लेकिन उन्हें मास्क और पीपीई किट और दूसरी सुविधाओं का वादा करके मना लिया गया है। क़रीब 1000 लोगों को आइसोलेशन में रखा गया है। सिर्फ़ गोपालगंज में ही क़रीब 200 लोगों को ऑब्ज़र्वेशन में रखा गया है और पटना में क़रीब 100 से ज़्यादा लोगों पर कोरोना होने का संदेह है। अब तक नौ केस पॉज़िटिव मिल चुके हैं। एक की मौत हो चुकी है।
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बिहार से निकल कर वे महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और दिल्ली जैसी जगहों पर रोज़गार करते हैं। ये वो जगहें हैं जहाँ से कोरोना के केस आ रहे हैं। समस्या ये है कि आज भी बिहार के मज़दूर बड़ी संख्या में बिहार लौट रहे हैं। ज़्यादातर पैदल ही गाँव की ओर निकल पड़े हैं। भूख से मरने से बेहतर है कि अपनों के पास पहुँच जाएँ। शहर में कोई काम नहीं देगा। मज़दूरी तो चली गई। कोरोना से बच गए तो शायद गाँव में मनरेगा में काम मिल जाए। मई-जून में वैसे भी मनरेगा में सबसे अधिक काम मिलता है। सबसे ज़्यादा मज़दूरों का माइग्रेशन बिहार से होता है। काम की तलाश में सबसे ज़्यादा बिहार का मज़दूर शहर की तरफ़ भागता है। गोवा, महाराष्ट्र राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली कहीं काम मिल जाए। वो चला जाता है। अब ये सब मज़दूर वापस लौट रहे हैं। बिहार से सबसे ज़्यादा लोग महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की ओर रूख करते हैं। ये बिहार पर सबसे बड़ी मार है। सारे मज़दूरों को टेस्ट करना एक चुनौती है। अलग-अलग राज्यों से बिहार पहुँचे मज़दूरों की संख्या लाखों में पहुँच चुकी है और लाखों लोग अभी रास्ते में हैं। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि इतनी बड़ी संख्या में मज़दूर वापस लौट रहे हैं कि सबको क्वॉरंटाइन करना नामुमकिन है। क्योंकि माइग्रेंट वर्कर्स सेल्फ़ क्वॉरंटाइन की बात नहीं मान रहे हैं। सरकार का कहना है कि उनके पास 15 हज़ार स्क्रीनिंग किट आए हैं लेकिन ये काफ़ी नहीं हैं। पटना, गोपालगंज, मुंगेर, सिवान और बेगुसराय आदि शहरों से लगातार केस आ रहे हैं। बेगुसराय में एक संदिग्ध की मौत के बाद हड़कम्प मच गया। पटना में नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल एनएमसीएच को नोडल हॉस्पिटल बनाया गया है यहाँ सिर्फ़ कोरोना ससपेक्टेड केस या पॉज़िटिव केस ही भर्ती किया जाएगा। यहाँ सुविधा नहीं होने के कारण रेज़िडेंट् डाक्टर्ज़ नाराज़ हो गए थे लेकिन उन्हें मास्क और पीपीई किट और दूसरी सुविधाओं का वादा करके मना लिया गया है। क़रीब 1000 लोगों को आइसोलेशन में रखा गया है। सिर्फ़ गोपालगंज में ही क़रीब 200 लोगों को ऑब्ज़र्वेशन में रखा गया है और पटना में क़रीब 100 से ज़्यादा लोगों पर कोरोना होने का संदेह है। अब तक नौ केस पॉज़िटिव मिल चुके हैं। एक की मौत हो चुकी है।
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