WHO फंडिंग: ट्रंप के बयान पर यूएन महासचिव ने कहा- ये संसाधनों को कम करने का समय नहीं
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के विश्व स्वास्थ्य संगठन की फंडिंग रोकने वाले बयान पर युनाइटेड नेशन ने चिंता ज़ाहिर की है। यूएन महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने कहा कि ये संसाधनों को कम करने का समय नहीं है।
यूएन महासचिव ने कहा, “कोरोना वायरस के ख़िलाफ लड़ाई में विश्व स्वास्थ्य संगठन या किसी भी अन्य संगठनों के संचालन के लिए संसाधनों को कम करने का समय नहीं है। ये एकता का समय है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकजुटता के साथ काम करने और कोविड-19 के विनाशकारी परिणामों को रोकने का समय है।”
बता दें कि मंगलवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि उन्हेंने अपने प्रशासन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की फंडिंग को रोकने के निर्देश दिए हैं। ट्रंप ने कहा इसके लिए चीन में उभरे कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को गलत तरीके से समझने और कवर करने की भूमिकाओं पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की समीक्षा की जा रही है। ट्रंप ने कहा, "मैं अपने प्रशासन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की फंडिंग को रोकने का निर्देश दे रहा हूं। हम वैश्विक स्वास्थ्य को पुनर्निर्देशित करेंगे और सीधे दूसरों के साथ काम करेंगे। हम जो भी सहायता भेजेंगे, उसकी बहुत-बहुत शक्तिशाली पत्रों पर चर्चा की जाएगी।” हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति के इस ऐलान के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। दरअसल अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन को सबसे ज़्यादा फंड देता आया है। 2017 में वॉलेंट्री कंट्रीब्यूशन के तहत अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ को 401 मिलियन डॉलर का फंड दिया, जो कुल कलेक्शन का 17 फीसदी था। जबकि 2019 में चीन का डब्ल्यूएचओ का कार्यकारी सदस्य होने के बावजूद वॉलेंट्री कंट्रीब्यूशन 10.2 मिलियन डॉलर रहा। डब्ल्यूएचओ के 34 सदस्य देश हैं लेकिन भारत इस संगठन का सदस्य नहीं है।
बता दें कि मंगलवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि उन्हेंने अपने प्रशासन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की फंडिंग को रोकने के निर्देश दिए हैं। ट्रंप ने कहा इसके लिए चीन में उभरे कोरोना वायरस के फैलते संक्रमण को गलत तरीके से समझने और कवर करने की भूमिकाओं पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की समीक्षा की जा रही है। ट्रंप ने कहा, "मैं अपने प्रशासन को विश्व स्वास्थ्य संगठन की फंडिंग को रोकने का निर्देश दे रहा हूं। हम वैश्विक स्वास्थ्य को पुनर्निर्देशित करेंगे और सीधे दूसरों के साथ काम करेंगे। हम जो भी सहायता भेजेंगे, उसकी बहुत-बहुत शक्तिशाली पत्रों पर चर्चा की जाएगी।” हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति के इस ऐलान के बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। दरअसल अमेरिका विश्व स्वास्थ्य संगठन को सबसे ज़्यादा फंड देता आया है। 2017 में वॉलेंट्री कंट्रीब्यूशन के तहत अमेरिका ने डब्ल्यूएचओ को 401 मिलियन डॉलर का फंड दिया, जो कुल कलेक्शन का 17 फीसदी था। जबकि 2019 में चीन का डब्ल्यूएचओ का कार्यकारी सदस्य होने के बावजूद वॉलेंट्री कंट्रीब्यूशन 10.2 मिलियन डॉलर रहा। डब्ल्यूएचओ के 34 सदस्य देश हैं लेकिन भारत इस संगठन का सदस्य नहीं है।
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