लॉकडाउन में टीवी की दुनिया को ऑनलाइन मीडिया से मिली तगड़ी चुनौती
दुनियाभर में कोरोनावायरस की महामारी से लोगों का रहन सहन और व्यवहार बदला है. यह बदलाव ख़बरों की दुनिया में भी हुआ है. इस दौरान ऑनलाइन मीडिया के ज़रिए न्यूज़ की ख़पत बढ़ी है जिसका सीधा असर समाचार चैनलों पर पड़ा है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक 47 फीसदी लोगों ने ऑनलाइन माध्यम के ज़रिये न्यूज़ की ख़पत को बढ़ा दिया है. वहीं 43 फीसदी लोगों ने सोशल मीडिया की ख़पत को बढ़ाया है. ऑनलाइन माध्यम पर बढ़ती निर्भरता से साफ़ ज़ाहिर है कि आने वाले समय में ऑनलाइन माध्यम समाचार चैनलों की दुनिया को पूरी तरह बदल देगा.
ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च कॉउंसिल की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में न्यूज़ की रेटिंग्स में गिरावट देखी गई है। बीते कुछ दिनों में लॉकडाउन में मिली रियायतों के बाद ज़िंदगी पटरी पर लौट रही है जिसकी वजह से भी समाचार चैनलों के ज़रिए ख़बरों की ख़पत घटी है. बार्क के मुताबिक साल के दूसरे और चौथे हफ़्ते की तुलना में लॉकडाउन के पहले हफ़्ते में समाचार चैनलों की रेटिंग में सबसे ज्यादा उछाल देखा गया था, जो 7 फीसदी से 21 फीसदी के बीच था. इस तीन गुने उछाल की लोगों में कोरोनावायरस का डर माना जा रहा है लेकिन अब इसमें फिर से गिरावट देखने को मिली है। हालांकि क्षेत्रीय भाषाओं में अभी भी न्यूज़ ज्यादा देखी जा रही है, जिसमें दक्षिण भारत के राज्यों में संख्या ज्यादा है।
लॉकडाउन के शुरुवाती हफ़्तों में टॉप 10 चैनलों की लिस्ट में न्यूज़ चैनल मौजूद थे लेकिन अब नहीं हैं। इसी तरह शुरुआत में रामायण और महाभारत जैसे कार्यक्रमों के चलते दूरदर्शन नंबर एक पर था लेकिन अब वो भी टॉप 10 चैनलों की लिस्ट में नहीं है.
वहीं BARC और नीलसन की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि देश में मोबाइल ब्राउज़िंग ऐप की गतिविधि में 37 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है. एक स्मार्टफोन यूज़र के बिताए गए समय में 3 घंटे प्रति सप्ताह यानी 12 फीसदी की वृद्धि हुई है. इसी तरह OTT प्लेटफॉर्म्स पर 11 फीसदी समय ज्यादा बिताया जा रहा है जो अब तकरीबन 236 मिनट प्रति सप्ताह है। कुल मिलाकर सप्ताह दर सप्ताह ऑनलाइन माध्यम पर निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है, वहीं टेलीविज़न के माध्यम से देखे जाने वाली ख़बर का समय कम होना 'ख़बर के लिए एक बुरी ख़बर है'।
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लॉकडाउन के शुरुवाती हफ़्तों में टॉप 10 चैनलों की लिस्ट में न्यूज़ चैनल मौजूद थे लेकिन अब नहीं हैं। इसी तरह शुरुआत में रामायण और महाभारत जैसे कार्यक्रमों के चलते दूरदर्शन नंबर एक पर था लेकिन अब वो भी टॉप 10 चैनलों की लिस्ट में नहीं है.
वहीं BARC और नीलसन की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि देश में मोबाइल ब्राउज़िंग ऐप की गतिविधि में 37 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है. एक स्मार्टफोन यूज़र के बिताए गए समय में 3 घंटे प्रति सप्ताह यानी 12 फीसदी की वृद्धि हुई है. इसी तरह OTT प्लेटफॉर्म्स पर 11 फीसदी समय ज्यादा बिताया जा रहा है जो अब तकरीबन 236 मिनट प्रति सप्ताह है। कुल मिलाकर सप्ताह दर सप्ताह ऑनलाइन माध्यम पर निर्भरता लगातार बढ़ती जा रही है, वहीं टेलीविज़न के माध्यम से देखे जाने वाली ख़बर का समय कम होना 'ख़बर के लिए एक बुरी ख़बर है'।
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