विवादित नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ अमेरिका, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय सड़कों पर
विवादित नागरिकता क़ानून की आग अब विदेशों में भी फैल गई है. अमेरिका, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया जैसे शहरों में रहने वाले भारतीय सड़कों पर हैं जिन्होंने मौजूदा सरकार पर देश का संविधान बदलने के साथ-साथ नागरिकों को आपस में बांटने का आरोप लगाया.
देश के अलावा विदेशो में भी नए नागरिकता कानून के खिलाफ लोग सड़को पर है। रविववार को जर्मनी और अमेरिका में बसे भारतीओ ने भी विरोध प्रदर्शन कर अपना गुस्सा दर्ज़ कराया और सरकार से इस कानून को वापिस लेने की मांग की।
केंद्र सरकार के विवादित नागरिकता क़ानून से विदेशों में रहने वाले भारतीय भी परेशान हो उठे हैं. प्रवासी भारतीयों को यह चिंता सता रही है कि क्या नागरिकता क़ानून की आड़ में भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान के साथ छेड़छाड़ की जा रही है. यही वजह है कि अमेरिका, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया समेत तमाम देशों में रह रहे भारतीय इस क़ानून के ख़िलाफ़ ज़ोरदार तरीक़े से विरोध जता रहे हैं. अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में रविवार की सुबह तक़रीबन 500 भारतीयों ने भारतीय दूतावास के नज़दीक महात्मा गांधी की मूर्ति नीचे खड़े होकर अपना विरोध जताया. प्रवासी भारतीयों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करते हुए इस विवादित क़ानून को रद्द करने की मांग की. और यह भी कहा कि मोदी सरकार को देशव्यापी एनआरसी की प्रक्रिया की मंशा छोड़ देनी चाहिए. इस विरोध प्रदर्शन में वर्ल्ड तमिल ऑर्गनाइजे़शन ने भी हिस्सा लिया और नागरिकता कानून को तमिल शरणार्थियों के खिलाफ भेवभाव वाला बताया. वीडियो देखिये इसी तरह जर्मनी की राजधानी बर्लिन में सैकड़ों प्रवासी भारती हाथों ने तिरंगा समेत तमाम पैनर पोस्टर लेकर बाहर निकल आए. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्हें भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे में किसी भी तरह की छेड़छाड़ मंज़ूर नहीं है और धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाले क़ानून का विरोध करते हैं. प्रदर्शनकारियों ने मौजूदा सरकार पर देश के नागरिकों को आपस में बांटने का आरोप लगाया और अपील की कि सरकार को रोज़गार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे ज़रूरी मुद्दों पर काम करना चाहिए. अमेरिका और जर्मनी के अलावा ऑस्ट्रेलिया में भी प्रवासी भारतीयों ने एकजुट होकर भारत के सेकुलर ढांचे को बरक़रार रखने की मांग की है. यहां भी प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्हें डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के बनाए संविधान में छेड़छाड़ मंज़ूर नहीं है.
केंद्र सरकार के विवादित नागरिकता क़ानून से विदेशों में रहने वाले भारतीय भी परेशान हो उठे हैं. प्रवासी भारतीयों को यह चिंता सता रही है कि क्या नागरिकता क़ानून की आड़ में भारत के धर्मनिरपेक्ष संविधान के साथ छेड़छाड़ की जा रही है. यही वजह है कि अमेरिका, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया समेत तमाम देशों में रह रहे भारतीय इस क़ानून के ख़िलाफ़ ज़ोरदार तरीक़े से विरोध जता रहे हैं. अमेरिका के वॉशिंगटन डीसी में रविवार की सुबह तक़रीबन 500 भारतीयों ने भारतीय दूतावास के नज़दीक महात्मा गांधी की मूर्ति नीचे खड़े होकर अपना विरोध जताया. प्रवासी भारतीयों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ नारेबाज़ी करते हुए इस विवादित क़ानून को रद्द करने की मांग की. और यह भी कहा कि मोदी सरकार को देशव्यापी एनआरसी की प्रक्रिया की मंशा छोड़ देनी चाहिए. इस विरोध प्रदर्शन में वर्ल्ड तमिल ऑर्गनाइजे़शन ने भी हिस्सा लिया और नागरिकता कानून को तमिल शरणार्थियों के खिलाफ भेवभाव वाला बताया. वीडियो देखिये इसी तरह जर्मनी की राजधानी बर्लिन में सैकड़ों प्रवासी भारती हाथों ने तिरंगा समेत तमाम पैनर पोस्टर लेकर बाहर निकल आए. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्हें भारत के धर्मनिरपेक्ष ढांचे में किसी भी तरह की छेड़छाड़ मंज़ूर नहीं है और धर्म के आधार पर नागरिकता देने वाले क़ानून का विरोध करते हैं. प्रदर्शनकारियों ने मौजूदा सरकार पर देश के नागरिकों को आपस में बांटने का आरोप लगाया और अपील की कि सरकार को रोज़गार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा जैसे ज़रूरी मुद्दों पर काम करना चाहिए. अमेरिका और जर्मनी के अलावा ऑस्ट्रेलिया में भी प्रवासी भारतीयों ने एकजुट होकर भारत के सेकुलर ढांचे को बरक़रार रखने की मांग की है. यहां भी प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उन्हें डॉक्टर भीमराव आंबेडकर के बनाए संविधान में छेड़छाड़ मंज़ूर नहीं है.
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