देश की सड़कों पर पैदल चलने वाले लोग ज़्यादा हो रहे हैं दुर्घटना के शिकार
पिछले चार साल में देश की सड़कों पर पैदल चलना ज्यादा ख़तरनाक हो गया है। हाल ही में आई यूनियन ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि देश की सड़कों पर पैदल चलने वाले लोगों में हर दिन 62 यात्री सड़क हादसों का शिकार होते है और साल 2014 के बाद से ऐसे हादसों में 84% की बढ़ोत्तरी हुई है।
साल 2014 में हर दिन सड़क हादसों का शिकार हुए पैदल चलने वाले लोगों की संख्या 34 थी जो कि साल 2018 में 62 हो गयी है। मिनिस्ट्री के दिये गए आंकडों के हिसाब से साल 2014 में सड़क हादसों का शिकार हुए पैदल चलने वाले लोगों की कुल संख्या 12 हज़ार 330 थी साल, 2015 में इसमे बढ़ोतरी हुई और संख्या 13 हज़ार 894 हो गयी, साल 2016 में कुल 15 हज़ार 746… 2017 में ऐसे हादसों में सबसे ज्यादा बढ़त हुई।
वीडियो देखें: इस दौरान कुल 20 हज़ार 457 पैदल चलने वाले लोग सड़क हादसों का शिकार हुए और साल 2018 में 22 हज़ार 656 पैदल चलने वाले लोग सड़क हादसों में मारे गए। ऐसे हादसे देश में सबसे ज्यादा पश्चिम बंगाल में 2 हज़ार 618 दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र में 2 हज़ार 515, तीसरे नंबर पर आंध्र प्रदेश में 1 हज़ार 569 और राजधानी दिल्ली में 420 पदल चलने वाले लोग सड़क हादसों का शिकार हुए है। सड़क हादसों में होने वाली कुल मौतों में 15 फीसदी पैदल चलने वाले लोगों की और 2.4 फीसदी साईकिल से सफर करने वाले लोगों की होती है। इसके बावजूद सरकार के पास इनके लिए कोई सुरक्षा व्यवस्था या कानून नहीं है।
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